नागपुर- 91 वें स्थापना दिवस के अवसर पर संघ मुख्यालय नागपुर में आयोजित विजयादशमी कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत सहित संघ के स्वयंसेवकों ने खाकी निकर की बजाय ब्राउन फुल पैंट में पथ संचलन (मार्च) किया। नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में चल रहे इस समारोह में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी पहुंचे।
मोदी की तारीफ
स्थापना दिवस के अवसर पर संघ मुख्यालय नागपुर में आयोजित विजयादशमी कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मोदी सरकार की जमकर तारीफ की। पहली बार फुल पैंट में आए स्वंयसेवकों को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने कहा पूरी दुनिया आज मोदी सरकार का लोहा मान रही है हमें भी उम्मीद है धीरे धीरे मोदी के नेतृत्व में देश तरक्की करेगा। सर्जिकल स्ट्राइक पर मोदी सरकार की पीठ थपथपाते हुए भागवत ने कहा कि यह पहली सरकार है जो ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई कर रही है। वहीं कई मुद्दों पर हो रही सरकार की आलोचना पर भागवत ने कहा कुछ ताकते हैं जो नहीं चाहती की देश आगे बढ़े इसलिए उन्हें मोदी सरकार नहीं सुहा रही।
गौरक्षकों का किया बचाव
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को गोरक्षकों का बचाव किया, और कहा कि असामाजिक तत्वों तथा कानून का पालन करने वाले गोरक्षकों के बीच अंतर को समझा जाना चाहिए। केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वैचारिक संरक्षक कहे जाने वाले आरएसएस के स्थापना दिवस पर नागपुर में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि हिन्दुओं द्वारा पवित्र मानी जाने वाली गाय की रक्षा कानून के दायरे में ही की जानी चाहिए, और वे गोरक्षक, जो ऐसा करते हैं, एक महत्वपूर्ण समाजसेवा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “गोरक्षक अच्छे लोग होते हैं… देश में गोरक्षा के लिए कानून हैं… प्रशासन को ध्यान रखना होगा कि कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो असामाजिक तत्व हैं, और कभी गोरक्षक नहीं हो सकते… उनके ज़रिये बेवकूफ न बनें… उन लोगों तथा गोरक्षकों में फर्क होता है… उन्हें एक साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए…”
कश्मीरी पंडितों को भी न्याय मिले
भागवत ने कश्मीर में छिड़े बवाल पर सीधे पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सबको पता है कि घाटी में पत्थरबाजी और हिंसा के लिए लोगों को सीमा पार से उकसाया जाता है। ऐसे लोगों से सख्ती से निपटना चाहिए। संघ प्रमुख ने कश्मीर के बहाने कश्मीरी पंडितों की समस्या को भी प्रमुखता से उठाते हुए कहा कि उन लोगों की आज तक सुनवाई नहीं हुई।
कोई सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं देती। न ही कश्मीर से निकाले गए पंडितों पर और न ही पीओके से आए लोगों पर। जिन्हें सरकारों ने आज तक वोटिंग का अधिकार नहीं दिया और वो आज भी मूलभूत अधिकारों से वंचित हैं। कश्मीरी पंडितों को न्याय मिलना जरूरी है।
‘भारतीय सेना ने हिम्मत का काम किया’
भागवत ने कहा, ‘मीरपुर, मुजफ्फराबाद और गिलगित-बाल्टिस्तान समेत सारा कश्मीर हमारा है। पाकिस्तान कश्मीर में अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा दे रहा है। सर्जिकल स्ट्राइक पर संघ प्रमुख ने कहा, ‘सरकार ने बहुत शानदार कदम उठाया। भारतीय सेना ने हिम्मत का काम किया. यशस्वी नेतृत्व ने पाकिस्तान को अलग-थलग किया। ‘
खाकी निकर संघ की यूनिफॉर्म में 90 साल से शामिल थी. इस तरह से इस संगठन में एक पीढ़ीगत बदलाव आएगा जिसे बीजेपी का वैचारिक मार्गदर्शक माना जाता है। संघ ने स्वयंसेवकों के लिए मोजों के रंग को बदलने की भी मंजूरी दे दी है और पुराने खाकी रंग की जगह गहरे ब्राउन रंग के मोजे इसमें शामिल होंगे। हालांकि परंपरागत रूप से शामिल दंड गणवेश का हिस्सा बना रहेगा।
एक लाख स्वेटरों का ऑर्डर भी दिया गया
जिन राज्यों में अधिक सर्दी पड़ती है वहां ठंड के मौसम में संगठन के स्वयंसेवक गहरे ब्राउन रंग का स्वेटर पहनेंगे। ऐसे एक लाख स्वेटरों का ऑर्डर दिया जा चुका है। संघ के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कहा, ‘विभिन्न मुद्दों पर संघ के साथ काम करने को लेकर समाज की स्वीकृति बढ़ती जा रही है और सुविधा के स्तर को देखते हुए वेशभूषा में बदलाव किया गया। यह परिवर्तन बदलते समय के अनुरूप ढलना दर्शाता है। ’
2009 में भी हुई थी यूनिफॉर्म बदलने की बात
वैद्य ने बताया कि आठ लाख से अधिक ट्राउजर वितरित कर दिए गए हैं. इनमें छह लाख सिले हुए ट्राउजर हैं और दो लाख का कपड़ा है जो देशभर में संघ कार्यालयों पर पहुंचा दिए गए हैं। वैद्य ने बताया कि 2009 में गणवेश में बदलाव का विचार किया गया था लेकिन तब इस पर आगे काम नहीं हो सका। विचार-विमर्श के बाद 2015 में इस प्रस्ताव को फिर से आगे बढ़ाया गया और निकर की जगह ट्राउजर को वेशभूषा में शामिल करने की आम-सहमति बन गई संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने इस प्रस्ताव पर कुछ महीने पहले मुहर लगाई थी।