नई दिल्ली- बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी और एनडीए की करारी हार पर बयानबाजी शुरू हो गई है। बिहार के मधुबनी से बीजेपी सांसद हुकुमदेव नारायण यादव ने कहा है कि आरक्षण पर आरएसएस चीफ मोहन भागवत के बयान के कारण हम चुनाव हारे। उन्होंने कहा,” आरक्षण पर बयान से दलितों में अंधविश्वास पैदा हुआ। पिछड़ों ने खुद को डरा हुआ महसूस किया।’’ वहीं, सोमवार शाम 4 बजे बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक से पहले बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह आरएसएस प्रमुख भागवत से मिलने पहुंचे।
क्या था भागवत का बयान, जिसे एनडीए की हार की वजह माना जा रहा है?
– भागवत ने 21 सितंबर को एक इंटरव्यू में कहा था कि आरक्षण पर राजनीति हुई है और इसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। रिजर्वेशन पॉलिसी का रिव्यू होना चाहिए।
– भागवत के इस बयान को लालू प्रसाद ने लपक लिया। बीजेपी बैकफुट पर चली गई।
– आखिरी फेज की वोटिंग तक बीजेपी के जमीनी कार्यकर्ता से लेकर आलाकमान तक को इस बयान पर सफाई देनी पड़ी। महागठबंधन ने इसे मुद्दा बनाकर खूब भुनाया।
– मोहन भागवत के बयान को बिहार इलेक्शन का सबसे बड़ा टर्निंग प्वॉइंट कहा जा सकता है। इस बयान के बाद बीजेपी को डेवलपमेंट के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की मोदी और अमित शाह की स्ट्रैटेजी को बदलना पड़ा। चुनाव अगड़े और पिछड़े के मुद्दे पर फोकस हो गया।
बीजेपी सांसद यादव ने कहा- बिहार में हार के कई कारण रहे लेकिन भागवत का बयान सबसे बड़ा कारण रहा। सीएम पोस्ट के लिए कैंडिडेट का एलान न करना भी एक कारण रहा। आरक्षण पर बयान ने पिछड़ी जाति के 90% लोगों को एकजुट कर दिया। मुस्लिम समुदाय के लोग भी उनके साथ आ गए। अगर बिहार में ऐसा हो गया था तो फिर बचता क्या? पिछड़ों और दलितों में यह संशय हो गया कि बीजेपी में कोई न कोई ऊंची जाति का सीएम ऊपर से थोप दिया जाएगा। वो (नरेंद्र मोदी-अमित शाह) क्या करते, दोनों बार बार कह रहे थे। लेकिन उनके (पिछड़ों) अंदर विश्वास पैदा हो गया कि बीजेपी वही करेगी जो संघ कहेगा। आरक्षण पिछड़ों के लिए रोजी का ही नहीं, सामाजिक सम्मान का भी जरिया है।
आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने दोहराया कि बिहार के नतीजों का देश की राजनीति पर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की गरिमा गिरा कर रख दी है। वो सांप्रदायिक सोच रखते हैं और सीमा पर टेंशन पैदा करने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि देशभर के लोग इस नतीजों से राहत महसूस कर रहे हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बिहार में विपक्ष की एकता के कारण एनडीए की हार हुई। हालांकि, जेटली ने कहा कि बिहार में हार का रिफॉर्म्स पर कोई असर नहीं पड़ेगा। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि बिहार के नतीजे इकोनॉमी के लिए कोई झटका नहीं है। स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स जारी रहेंगे और उनकी रफ्तार तेज होनी चाहिए। जेटली ने माना कि चुनाव के दौरान बीजेपी के कुछ पदाधिकारियों की ओर से की गई गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी ने बिहार में माहौल बदल दिया।
अखिलेश यादव ने कहा
यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने कहा, “बिहार की जनता का फैसला सेक्युलरिज्म और सोशलिस्ट सोच का नतीजा है। बीफ के मुद्दे पर जनता ने अच्छा सबक सिखाया। जनता के बीच जो सरकार रहेगी जनता उसी को मौका देगी। बिहार के लोगों ने नीतीश कुमार को तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाया है। मैं इसके लिए उन्हें बधाई देता हूं।” सीएम ने सपा के महागठबंधन से अलग होने के फैसले पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।