नागपुर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) में विजयदशमी पर्व मना रहा है। इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पहले शस्त्र पूजा की और फिर लोगों को संबोधित किया।
अपने संबोधन में भागवत ने महात्मा गांधी और गुरु नानक का जिक्र करते हुए भारतीय सेना को मजबूत बनाने की बात कही।
उन्होंने कहा कि समाज में सब त्रुटियों को दूर कर उसके शिकार हुए समाज के अपने बंधुओं को स्नेह व सम्मान से गले लगाकर समाज में सद्भावपूर्ण व आत्मीय व्यवहार का प्रचलन बढ़ाना पड़ेगा।
मोहन भागवत ने अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति वर्ग से संबंध रखने वाले वंचित समूह और प्रताड़ित लोगों को मजबूत करने की बात कही।
उन्होंने अर्बन नक्सल की अवधारणा का जिक्र करते हुए कहा कि देश में चले छोटे आंदोलनों में भारत तेरे टुकड़े होंगे कहने वाले भी दिखाई दिए।
उन्होंने कहा, दृढ़ता से वन प्रदेशों में अथवा अन्य सुदूर क्षेत्रों में दबाये गये हिंसात्मक गतिविधियों के कर्ता-धर्ता व पृष्ठपोषण करने वाले अब शहरी माओवाद अर्बन नक्सलिज्म के पुरोधा बनकर राष्ट्रविरोधी आन्दोलनों में अग्रपंक्ति में दिखाई देते हैं।
इस पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर इनका खूब प्रचार चल रहा है और इसका कंटेंट पाकिस्तान, इटली और अमेरिका से आ रहा है।
भागवत ने कहा कि पारिवारिक क्लेश से बचें और स्नेह, सद्भाव से समाज को बदले। घर के लोगों में संस्कार डालें। अपना चिंतन और व्यवहार ठीक करें। अपने प्रकृतिस्वभाव पर पक्का व स्थिर रहकर ही कोई देश उन्नत होता है। अंधानुकरण से नहीं।
पाकिस्तान और चीन के खतरे के प्रति आगाह करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत सबके कल्याण की कामना करता है लेकिन दुनिया में हमारे दुश्मन भी हैं।
उन्होंने कहा, ‘उनसे तो बचने का उपाय करना होगा। पड़ोसी देश में सरकार बदली लेकिन सीमा के पास के राज्यों में उसकी क्रिया में कमी नहीं आई। हम ऐसा बनें कि शत्रु में हिम्मत न हो। सेना को इसी लिहाज से मजबूत बनाने की जरूरत है।
पिछले सालों में भारत की दुनिया में प्रतिष्ठा बढ़ी है उसकी वजह यही है कि हम इस दिशा में आगे बढ़े हैं।’
सैनिकों की बहादुरी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘सैनिक सीमा पर अकेले हैं। उनकी सुरक्षा और उनकी परिवारों की सुरक्षा का दायित्व हमारा है। गोली का जवाब गोली से देने वालों की हिम्मत रखने वालों की चिंता कौन करेगा।
इस बार में शासन प्रशासन द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं, इसकी गति बढ़ाए जाने की जरूरत है।’ समुद्र रास्ते से चीन से आने वाले खतरे के प्रति भी उन्होंने आगाह किया।
सबरीमाला पर हो रहे विरोध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, सबरीमल्ला देवस्थान के संबंध में सैकड़ों वर्षों की परंपरा, जिसकी समाज में स्वीकार्यता है के स्वरूप व कारणों के मूल का विचार नहीं किया गया।
धार्मिक परंपराओं के प्रमुखों का पक्ष, करोड़ों भक्तों की श्रद्धा, महिलाओं का बड़ा वर्ग इन नियमों को मानता है उनकी बात नहीं सुनी गयी।
राममंदिर पर अपने विचार रखते हुए भागवत ने कहा कि जल्द से जल्द राम मंदिर बनना चाहिए। राष्ट्र के ‘स्व’ के गौरव के संदर्भ में अपने करोड़ों देशवासियों के साथ श्रीराम जन्मभूमि पर राष्ट्र के प्राणस्वरूप धर्ममर्यादा के विग्रहरूप श्रीरामचन्द्र का भव्य राममंदिर बनाने के प्रयास में संघ सहयोगी है।
उन्होंने कहा कि सरकार कानून बनाकर राम मंदिर बनवाए। श्रीराम मंदिर का बनना स्वगौरव की दृष्टि से आवश्यक है, मंदिर बनने से देश में सद्भावना व एकात्मता का वातावरण बनेगा।
चुनाव में मतदान न करना अथवा नोटा के अधिकार का उपयोग करना, मतदाता की दृष्टि में जो सबसे अयोग्य उम्मीदवार है उसी के पक्ष में जाता है, इसलिए राष्ट्रहित सर्वोपरि रखकर 100 प्रतिशत मतदान आवश्यक है।
भागवत ने कहा, ‘हमारी पहचान हिन्दू पहचान है जो हमें सबका आदर, सबका स्वीकार, सबका मेलमिलाप व सबका भला करना सिखाती है। इसलिए संघ हिन्दू समाज को संगठित व अजेय सामर्थ्य संपन्न बनाना चाहता है और इस कार्य को सम्पूर्ण संपन्न करके रहेगा।
आप सबको आह्वान है कि संघ के स्वयंसेवकों के साथ इस पवित्र ईश्वरीय कार्य में सहयोगी व सहभागी बनते हुए हम सब मिलकर भारत माता को विश्वगुरु पद पर स्थापन करने के लिए भारत के भाग्यरथ को अग्रसर करें।’