नई दिल्ली – भाजपा में शामिल होकर महज चार दिन में तमाम दिग्गजों को पछाड़कर दिल्ली में भाजपा के सीएम दावेदार किरण बेदी के बारे में किसी को कानोकान खबर तक नहीं थी। सूत्रों के मुताबिक, किरण भाजपा से मुख्यमंत्री प्रत्याशी होंगी, इसकी जानकारी केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और वित्त मंत्री अरूण जेटली तक सीमित थी। यहां तक कि संघ भी अनजान था। अब संघ वेट एंड वॉच की रणनीति अपनाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा में शामिल होने के लिए बेदी मोदी से मिलने पहुंची तो उन्होंने साफ कहा था कि वह सिर्फ भाजपा का प्रचार करने या विधायक बनने पार्टी में नहीं आ रही है। किरण की शर्त थी कि उनके नामांकन भरने के पहले उसे मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया जाए। अन्यथा न तो प्रचार करेंगी और न ही चुनाव लड़ ेगी। पार्टी के पास दिल्ली में बड़े नाम और चेहरे के अभाव के चलते और आप से मिल रही तगड़ी चुनौती से परेशान मोदी और शाह ने इस पर तत्काल सहमति दे दी।
सोमवार को संसदीय बोर्ड की बैठक के पहले तक सिर्फ भाजपा के तीन दिग्गजों मोदी, शाह और जेटली को ही मालूम था कि किरण के नाम का आज ऎलान होना है। भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार राजनाथ, सुषमा स्वराज और नितिन गड़करी तक को इस फैसले की जानकारी नहीं थी। इसी कारण बैठक में बेदी के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने के जेटली के प्रस्ताव पर मोदी और शाह की राजनीति से बेखबर सुषमा, राजनाथ और गड़करी ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कह दी। तीनों को छोड़कर सभी सदस्यों ने बेदी के नाम पर मुहर लगा दी।
सूत्राें के अनुसार, भाजपा और संघ के बीच समन्वय का काम देख रहे कृष्ण गोपाल को भी बेदी के मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाए जाने की जानकारी मीडिया के माध्यम से मिली। छोटे से लेकर बड़े मसलों तक संघ की सलाह को सर्वोपरि मानने वाली भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने मोहन भागवत तक को किरण को लेकर भनक तक नहीं लगने दी और न ही उससे सलाह ली गई।