भोपाल- मध्य प्रदेश के एक आरटीआई कार्यकर्ता ने सुचना के अधिकार के अंतर्गत जानकारी निकाली तो शिक्षा विभाग का एक सच सामने आया है जिसमे आरटीआई से पता चला है कि मुल्क भर में फैले 1,100 से ज्यादा केंद्रीय विद्यालयों में शिक्षकों के 21 प्रतिशत स्वीकृत पद खाली पड़े हैं।
मध्यप्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि उनकी आरटीआई अर्जी के जवाब में केंद्रीय विद्यालय संगठन केवीएस ने एक जून तक की स्थिति के मुताबिक यह जानकारी दी है। केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत आने वाला केवीएस देश भर में केंद्रीय विद्यालयों का संचालन करता है।
केवीएस की ओर से गौड़ को 23 जून को भेजे जवाब में बताया गया कि केंद्रीय विद्यालयों में प्राथमिक स्तर से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर तक शिक्षकों के कुल 41,149 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 32,370 पदों पर ही शिक्षक कार्यरत हैं और शेष 8,779 पद खाली पड़े हैं. यानी इन विद्यालयों में शिक्षकों के करीब 21 प्रतिशत स्वीकृत पद रिक्त हैं।
केवीएस ने आरटीआई अर्जी के जवाब में बताया कि केंद्रीय विद्यालयों में प्राइमरी अध्यापकों के 14,856 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 11,849 पदों पर शिक्षक कार्य कर रहे हैं और शेष 3,007 पद खाली पड़े हैं।
केंद्रीय विद्यालयों में प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक टीजीटी के 15,972 स्वीकृत पदों के मुकाबले 11,995 पदों पर अध्यापकों की नियुक्ति की गयी है और शेष 3,977 पद खाली पड़े हैं।
केंद्रीय विद्यालयों में परास्नातक शिक्षक :पीजीटी: के 10,321 पद स्वीकृत हैं। लेकिन इन पदों पर 8,526 अध्यापक ही नौकरी कर रहे हैं और शेष 1,795 पद खाली पड़े हैं।
इस बीच, ऑल इंडिया केंद्रीय विद्यालय टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव एमबी अग्रवाल ने कहा कि उनका संगठन केवीएस पर लगातार दबाव डालकर मांग कर रहा है कि केंद्रीय विद्यालयों में शिक्षकों के खाली पदों को जल्द से जल्द भरा जाये।
अग्रवाल ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में केंद्रीय विद्यालयों में शिक्षकों के खाली पदों में से 25 प्रतिशत पद भर जायेंगे। ’