राजस्थान के राजसमंद में अफराजुल की हत्या का मामला अब अलग राह पकड़ चुका है। हत्या के आरोपी शंभू के समर्थन में बड़ी संख्या में भीड़ जमा हो रही है। जाहिर सी बात है इस भीड़ को इक्ट्ठा करने के लिए धर्म का सहारा लिया जा रहा है।
इलाके में धारा 144 लागू होने के बावजूद लोग हजारों की संख्या में इक्ट्ठा हो जा रही है और पूलिस कुछ नहीं कर पा रही। गुरुवार को उदयपुर में कोर्ट चौराहे पर उग्र प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के दौरान कुछ लोग कोर्ट के पीछे की बिल्डिंगों से छत पर चढ़े और कोर्ट के मुख्य द्वार पर भगवा झंडा फहराया।
जिस भवन का इस्तेमाल न्याय देने के लिए किया जाता है वहां किसी विशेष धर्म का झंडा फहरा रहा था। पुलिस पहले कुछ देर तक ये सब देखती रही। काफी देर तक उत्पाती झंडा फहराकर प्रदर्शन करते रहे। इस दौरान कुछ उत्पातियों ने कोर्ट की छत से पुलिस पर पत्थर फेंका।
जब खुद को चोट लगी तो पूलिस ने कार्रवाई शुरू की। लाठीचार्ज करके हालात काबू करने की कोशिश की लेकिन माहौल और बिगड़ गया। प्रदर्शनकारी कोर्ट के अंदर तक चले गए। इसके बाद कोर्ट परिसर में ही उत्पातियों के साथ वकीलों और पुलिस के बीच भी झड़प हुई।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों में 15 मिनट तक पत्थरबाजी हुई, जिसमें 10 पुलिस अफसरों सहित 31 जवान घायल हो गए। इनमें से 4 सिपाही गंभीर रूप से घायल हैं जबकि 3 पुलिस इंस्पेक्टर और एक डिप्टी गोपाल सिंह को भी चोटें आई हैं।
ध्यान देने वाली बात है कि यह भी है कि ऐसी घटना अगर कश्मीर होती है तो मीडिया बढ़ा चढ़ा कर दिखाती है। मीडिया कश्मीर के पत्थबाजों को आतंकवादी घोषित कर देती है लेकिन राजस्थान के पत्थरबाजों पर कोई खबर भी नहीं चला रही।
बता दें कि वसुंधरा सरकार ने अभी कुछ दिन पहले ही अपना 4 साल का कार्यकाल पूरा किया। इसके लिए राज्य सरकार ने जश्न भी मानाय। सोशल मीडिया पर वसुंधरा राजे सिंधिया बीजेपी के तामाम वरिष्ठ नेता ने बधाई संदेश भेजा।
अब सवाल उठता है कि राजस्थान में बीजेपी का कार्यकाल कितना सफल रहा? एक व्यक्ति को बर्बरता से काट जला दिया जाता है और वीडियो भी बनाया जाता है, वो भी सिर्फ इसलिए की उसने कथित रुप से किसी दूसरे धर्म की लड़की से प्रेम किया था। हालांकि अभी इस बात की पुष्टी नहीं हुई है कि प्रेस प्रसंग था या नहीं।
क्या ये राजस्थान सरकार की सफलता है? एक हत्यारोपी के समर्थन में इतने लोग कैसे इक्ट्ठा हो जा रहे हैं? सरकार की इसमे क्या भूमिका है?