लखनऊ- उत्तर प्रदेश के कैराना में पलायन के मसले पर राजनीतिज्ञों के बयान बाजी के बाद पिछले सप्ताह कैराना मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की तरफ से गठित संतों की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि यूपी में दंगों की आग कभी भी भड़क सकती है। कमेटी ने 20 पन्नों की रिपोर्ट में 10 सुझाव भी दिए हैं और साथ ही चेतावनी भी दी है कि अगर इन सुझावों पर तत्काल अमल नही किया तो यूपी में दंगों की आग भड़क सकती है।
बता दें कि कैराना मामले की जांच के लिए यूपी सरकार ने पांच संतों की टीम बनाई थी। इस टीम ने कैराना जाकर मामले की जांच की और सीएम अखिलेश यादव को रिपोर्ट दी। संतों के जांच दल में आचार्य प्रमोद कृषणनन, स्वामी कल्याणदेव, स्वामी चिन्मयानंद, स्वामी चक्रपाणि और स्वामी देवेंद्रानंद शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हुकुम सिंह जब कैबिनेट मंत्री थे, उस वक्त 121 परिवारों ने कैराना से पलायन किया था। इसके अलावा कुल 150 परिवारों ने पूर्व डीजीपी और बीजेपी जांच कमेटी के सदस्य बृजलाल के कार्यकाल के दौरान पलायन किया था।
कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि पिछले कुछ दिनों में हुई फायरिंग में जो अपराधी शामिल हैं, वे हिंदू हैं और उन्हें शह देने वाले नेता भी हिंदू हैं। इनमें बीजेपी और सपा के भी कुछ नेता शामिल हैं।
ऐसे मामलों को खुद देखें सीएम
कमेटी ने एक ऐसा विभाग बनाने का सुझाव दिया है, जो सांप्रदायिक तनाव के मामलों की निगरानी करे और सीधे सीएम को रिपोर्ट दे। संतों की रिपोर्ट में रंगदारी और अपराध का भी ज़िक्र है और इसके लिए स्थानीय प्रशासन को ज़िम्मेदार ठहराया गया है। रिपोर्ट में प्रशासनिक ढीलापन और राजनीतिक संरक्षण का भी ज़िक्र है। रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी भी हिंदू ने मुसलमानों के ज़ुल्म की बात नहीं कही है। संतों की टीम ने कहा है कि कैराना विवाद केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के माहौल को खराब करने की साजिश थी।