विवादित पुस्तक ‘द सैटेनिक वर्सेज’ के लेखक सलमान रुश्दी एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार चर्चा में होने की वजह है इस्लाम के पवित्र धर्मग्रंथ कुरान पर दिया गया था उनका बयान।
सलमान रुश्दी ने कहा है कि कुरान पढ़ने में सुखद और आनंददायक नहीं है। ब्रिटेन में चेलटेनहम लिटरेचर फेस्टिवल में शिरकत करते हुए उन्होंने कहा कि मैं कुरान नहीं पढ़ पाता हूं, क्योंकि ये मुझे मजेदार नहीं लगता है।
विवादित पुस्तक ‘द सैटेनिक वर्सेज’ लिखने के लिए इस्लामिक कट्टरपंथियों के निशाने पर लगभग 30 रहने वाले सलमान रुश्दी फिर से मुसलमानों के निशाने पर आ सकते हैं। 1988 में प्रकाशित ‘द सैटेनिक वर्सेज’ को दुनिया भर के मुसलमानों ने ‘ईश निंदक’ करार दिया था। उनकी इस किताब को लेकर मुस्लिम समुदाय में इस कदर गुस्सा भड़का था कि कई लोगों ने उनकी हत्या के लिए फतवा जारी किया था।
इसमें ईरान के सर्वोच्च धर्मगुरु अयातुल्लाह खुमैनी का फतवा सबसे चर्चा में रहा था। उन्होंने सलमान रुश्दी की हत्या करने वालों को लाखों डॉलर देने की घोषणा की थी।
ब्रिटेन के अखबार डेलीमेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के सबसे पुराने लिटरेचर फेस्टिवल में शिरकत करते हुए उन्होंने कहा कि, ‘कुरान पढ़ने में आनंददायक नहीं है क्योंकि इसका अधिकतर भाग कथा के रूप में नहीं है।’
उन्होंने कहा कि, ‘ओल्ड टेस्टामेंट, न्यू टेस्टामेंट और कुरान में सबसे बड़ा फर्क ये है कि कुरान कथा-कहानियों के रूप में नहीं है।’ सलमान रुश्दी के मुताबिक कुरान के एक चौथाई हिस्से में ही कथा दी गई है। उन्होंने कहा कि कुरान का एक तिहाई हिस्सा इस्लाम में ना विश्वास करने वालों पर है, कि कैसे वे नर्क में जलेंगे। दूसरा एक तिहाई हिस्सा, कायदे-कानून से जुड़ा है, जैसे कि आपको कैसे व्यवहार करना चाहिए।
जब उनसे पूछा गया कि क्या किताब को ज्यादा मानवीय दिखाने के लिए कुरान में संपादन की जरूरत है। तो उन्होंने कहा कि ये एक बेकार की कोशिश है। सलमान रुश्दी ने कहा कि, ‘अगर इस किताब को संपादित किया गया तो मुझे इसे पढ़ना पड़ेगा, लेकिन मैं ऐसा नहीं करना चाहता हूं।’
ब्रिटेन के नाइटहुड पुरस्कार से सम्मानित सलमान रुश्दी ने बताया कि वो मानते हैं ये दुनिया धर्म के बिना के ही रहने के लिए एक बढ़िया जगह साबित होगी, क्योंकि धर्म एक बकवास है जो लोगों की हत्या करवाती है।’ साहित्य के क्षेत्र में सलमान रुश्दी वर्तमान दुनिया के जाने-माने हस्ताक्षर हैं। उन्हें बुकर प्राइज से भी सम्मानित किया गया है। भारत में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भी उनकी किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ को बैन कर दिया था।