मुंबई : महाराष्ट्र में निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को लेकर राजनीतिक बयानबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। जहां इस मामले को लेकर विपक्ष हमलावर हो गया है वहीं अब शिवसेना ने भी महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। शिवसेना के मुखपत्र सामना में कहा गया है कि सचिन वाजे वसूली रहा था और राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख को इसकी जानकारी नहीं थी? मुखपत्र में आगे लिखा गया है कि देशमुख को गृहमंत्री का पद दुर्घटनावश मिल गया। आगे लिखा गया है कि आखिर एपीआई स्तर के अधिकारी सचिन वाजे को इतने अधिकार किसने दिए? यही जांच का विषय है। पुलिस आयुक्त, गृह मंत्री, मंत्रिमंडल के प्रमुख लोगों का दुलारा व विश्वासपात्र रहा सचिन वाजे महज एक सहायक पुलिस निरीक्षक था लेकिन उसे सरकार में असीमित अधिकार किसके आदेश पर दिया गया।
सामना में आगे लिखा गया है कि अनिल देशमुख को ‘दुर्घटना वश’ गृह मंत्रालय मिल गया जबकि उम्मीदवार कोई और था। क्यूंकि जयंत पाटिल और दिलीप वलसे पाटिल ने इस पद को स्वीकारने से मना कर दिया था। आज मौजूदा सरकार के पास ‘डैमेज कंट्रोल’ की कोई योजना नहीं है। आर.आर. पाटील की गृहमंत्री के रूप में कार्य पद्धति की तुलना आज भी की जाती है। संदिग्ध व्यक्ति के घेरे में रहकर राज्य के गृहमंत्री पद पर बैठा कोई भी व्यक्ति काम नहीं कर सकता है। पुलिस विभाग पहले ही बदनाम है। उस पर ऐसी बातों से संदेह बढ़ता है।
अनिल देशमुख ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से बेवजह पंगा लिया। गृहमंत्री को कम-से-कम बोलना चाहिए। बेवजह कैमरे के सामने जाना और जांच का आदेश जारी करना अच्छा नहीं है। ‘सौ सुनार की एक लोहार की’ ऐसा बर्ताव गृहमंत्री का होना चाहिए। पुलिस विभाग का नेतृत्व सिर्फ ‘सैल्यूट’ लेने के लिए नहीं होता है। वह प्रखर नेतृत्व देने के लिए होता है। प्रखरता ईमानदारी से तैयार होती है, ये भूलने से कैसे चलेगा?
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने इस पूरे दौर में निश्चित तौर पर क्या किया? राज्यपाल आज ठाकरे सरकार जाए इसके लिए राजभवन के समुद्र में बैठकर ईश्वर का जलाभिषेक कर रहे हैं। एंटालिया व परमबीर सिंह लेटर प्रकरण के कारण तो यह सरकार जाएगी ही, ऐसी उम्मीद लगाकर बैठे थे। उस पर भी पानी फिर गया। एक बार फिर महाराष्ट्र के भाजपाई नेता आए दिन राज्यपाल से मिल रहे हैं। सरकार की बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं, इससे राजभवन की प्रतिष्ठा भी कलंकित हुई।