जयपुर / खडंवा : पहली बार छुट्टी के दिन शनिवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने किसी केस की सुनवाई हुई . और पहली बार ढाई साल का कोई मासूम यहां पेश किया गया. मामला इसी मासूम की कस्टडी से जुड़ा था . बच्चे के दादा दादी का आरोप था कि उसे एक तांत्रिक के हवाले कर दिया गया है जो उसकी बलि भी दे सकता है | मासूम के भविष्य के लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने आज भी सुनवाई करने का फैसला किया। सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला देते हुए बच्चे की कस्टडी उसके माता-पिता को दी है। अब यह बच्चा उसके माता-पिता के पास ही रहेगा।
मामला जयपुर के एक परिवार का है, जहां माता-पिता ने दुधमुंहे बच्चे को एक संन्यासी के गोद दे दिया था। पूरी प्रक्रिया के बाद बच्चे के दादा को आशंका हुई संन्यासी बच्चेकी बलि दे सकता है। इसी को लेकर उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
धुनिवाले दादाजी आश्रम खेड़ीघाट (बड़वाह) के प्रमुख रामेश्वरदयाल महाराज उर्फ़ छोटे सरकार द्वारा एक ढाई महीने के बच्चे को गोद लेकर उसे अपना उतराधिकारी घोषित किए जाने के मामले को बच्चे के दादाजी द्वारा जयपुर हाईकोर्ट में चुनौती दिए जाने का मामला सुर्ख़ियों में आया है। उच्च न्यायालय जयपुर ने बच्चे के दादाजी की अर्जी पर बच्चे को छोटे सरकार को सौंपे जाने पर रोक लगाते हुए उसे बच्चे के माता-पिता के पास ही रखे जाने के निर्देश दिए है।
इस बहुचर्चित मामले की शुरुआत खण्डवा से ही हुई जहाँ गुरुपूर्णिमा के पूर्व रामेश्वरदयाल महाराज उर्फ़ छोटे सरकार ने खण्डवा में दादाजी धूनीवाले के मूल आश्रम में 23 जुलाई को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए एक बच्चे को गोद लेने की घोषणा की। उन्होंने इस बच्चे का नाम दिया अनंत दयाल और उसे गोद में लेकर ददाजीधाम में पूजा अर्चना की। यह बच्चा जयपुर के पवन- पूजा पुरोहित का था जो छोटे सरकार के अनन्य भक्तों में से एक है।
छोटे सरकार के नाम से मशहूर स्वामी रामेश्वरदयाल के पास करोड़ों की अथाह संपत्ति है। देश के राजधानी दिल्ली,भोपाल,इंदौर,खेड़ीघाट सहित अनेक शहरो में उनके आश्रम है. उनका अपना एक निजी हेलकॉप्टर भी है और खेड़ीघाट आश्रम में निजी हेलीपेड और हेंगर भी। बताया जाता है कि देश के एक बड़े कारपोरेट हाउस ने उन्हें यह हेलीकॉप्टर भेंट किया था।
पवन पुरोहित ने उस समय चर्चा में बताया था कि उनके दो बेटे है जिनमे एक 7 वर्ष का बड़ा बेटा है और दूसरा छोटा गोद में है। उन्होंने स्वेच्छा से इस बच्चे को अपने गुरूजी को गोद देना स्वीकार किया। खण्डवा में दादाजी धूनीवाले के मुख्य आश्रम में पूरे विधि विधान से यह प्रक्रिया बड़ी संख्या में उपस्थित भक्तों के बीच पूर्ण की गई। इसके बाद छोटे सरकार ने बच्चे को गोद में लेकर दादाजी की समाधि के दर्शन किये और पूजा अर्चना की।
इस मौके पर बच्चे के माता-पिता सहित बड़ी संख्या में छोटे सरकार के समर्थक उपस्थित थे। छोटे सरकार ने इस मौके पर इतना कहा कि वे गुरुपूर्णिमा के पहले इस बच्चे को गोद लेना चाहते थे और आज दादाजी की कृपा से यह कार्य पूर्ण हुआ।
इस बीच बच्चे के दादाजी ने अपने पोते को छोटे सरकार को सौंपे जाने का विरोध करते हुए जयपुर उच्च न्यायालय से हस्तक्षेप की गुहार लगाई। बच्चे के दादा का कहना था कि उन्हें अनिष्ट की आशंका है इसके लिए वे चाहते है बच्चा उनके ही परिवार में रहे। न्यायालय ने ना सिर्फ उनकी अर्जी स्वीकार की बल्कि शनिवार को छुट्टी के दिन भी विशेष रूप से अदालत लगाकर इस मामले की सुनवाई की। न्यायालय ने भी इतने छोटे बच्चे को स्वामीजी को सौंपे जाने को ठीक नहीं माना और बच्चे के माता-पिता को ही अपने पास रखकर परवरिश का आदेश दिया।
छोटे सरकार के समर्थक और समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि खण्डवा के दादाजी धुनिवाले आश्रम में सप्ताह भर पूर्व यह रस्म पूरी की गई थी। छोटे सरकार के भक्तों का कहना है कि दत्तक दिए जाने की प्रक्रिया पूरी तरह पारस्परिक सहमती से राजीख़ुशी संपन्न हुई ऐसे में अचानक उठे इस विवाद से सभी भक्त हतप्रभ है।