जयपुर – अन्न-जल छोड़ कर देह त्याग ने की परंपरा “संथारा” पर राजस्थान हाई कोर्ट ने सोमवार को रोक लगा दी। एक जनहित याचिका पर कोर्ट ने यह कदम उठाया। कोर्ट में यह मामला 2006 से लंबित था। हाई कोई के मुख्य न्यायाधीश सुनील अम्बवानी की खंडपीठ ने यह अहम फैसला सुनाया। संथारा के खिलाफ निखिल सोनी ने जनहित याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने पूर्व में इस पर फैसला सुरक्षित रखा था। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि संथारा लेना आत्महत्या के समान है, ऐसा करने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।
[box type=”shadow” ]23 अप्रैल को सुरक्षित रखा था फैसला
राजस्थान हाई कोर्ट ने इस मामले पर विभिन्न पक्षों को सुनने के बाद 23 अप्रैल को सुनवाई पूरी कर ली थी और निर्णय सुरक्षित रखा था।
निखिल सोनी ने अपनी जनहित याचिका में कहा था जिस तरह सती प्रथा आत्महत्या है, उसी प्रकार से संथारा प्रथा भी आत्महत्या का ही एक प्रकार है।
दूसरे पक्ष की ओर से हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा गया था कि जैन धर्म में संथारा प्रथा का महत्वपूर्ण स्थान है।[/box]