साल एक भर पहले ही एक चौकीदार रखा था …. बंदा स्मार्ट दिखता था – चुस्त चपल हाज़िर जवाब …. हाथ जोड़ कर कहता था मालिक सेवा का मौका दें – मैं सारी व्यवस्था चाकचौबंद रखूंगा और तिजोरी पर किसी का पंजा नहीं पड़ने दूंगा …. कई लोगों ने उसकी सिफारिश भी करी थी !!!!
और शुरू में तो वो रात में जागता और चिल्लाता भी था – जागते रहो जागते रहो …. पर एकाएक वो आजकल गुमसुम हो गया है – चुप हो गया है ….
पूछा तो बोला मालिक चोरी हो गई …. ठीक है भाई हो गई तो हो गई – किसने करी ? बोला अपने वाले ही हैं – मेरे गाँव वाले ही हैं – मेरे रिश्तेदार ही हैं – पूरा गैंग है ….यार ये बात तो ठीक नहीं – तुमने रोका क्यों नहीं ? …. रोकता कैसे – मेरी चौकीदारी की नौकरी भी तो उन्होंने ने ही लगवाई थी ….
तो फिर आगे क्या करना ? …….
चोरी तो रोकनी होगी – चोर को तो पकड़ना होगा …….. कुछ तो बोलो ?
अब क्या बोलूं ? …. बोलो कुछ तो बोलो …..
ठीक है आज मन की बात बोलता हूँ …. मौसम बहुत सुहाना है – बरसाती है – पानी रोको – झाड़ लगाओ – पकोड़े खाओ – शौचालय जाओ – योगासन करो – सेल्फ़ी खींचो – त्यौहार मनाओ – राखी पर बहना को बोलना ले पकड़ 12 रूपए का बीमा – मर गई तो परिवार को पैसे मिलेंगे ….
पर भाई इससे तुम्हारी चौकीदारी का क्या लेना देना ?? …. चोरों को तो भगाओ नहीं तो फिर तुम खुद भागो यहाँ से ….
5 साल का बांड है जनाब आप मुझे यूं नहीं भगा सकते – मैं कोई भगोड़ा नहीं – और यदि कोई भगोड़े की मदद करे तो इससे मेरा लेना देना भी नहीं …. इसलिए अब योग कर रहा हूँ – कृपया मुझे डिस्टर्ब नहीं करें – मैं चुप्पासन में लीन हूँ ….
…. चौकीदार के भरोसे नहीं रहें – अपनी सुरक्षा स्वयं करे।
वंदे मातरम्।
यह लेख आशीष पाठक की फेसबुक वाल से लिया गया है
लेखक परिचय :- आशीष पाठक एक प्रसिद्ध समाचार पत्र में बड़े पत्रकार है