महागठबंधन के टूटने के बाद राजद प्रमुख लालू यादव द्वारा पहली बार शक्ति प्रदर्शन के तौर पर पटना के गांधी मैदान में बुलाई गई ‘देश बचाओ भाजपा भगाओ रैली’ में विपक्ष के तमाम दिग्गज जुटे। लालू यादव के आयोजन में जेडीयू से बागी हुए शरद यादव भी पहुंचे और लालू को गले लगाकर अपने इरादे साफ कर दिए।
शरद के अलावा सपा अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी मंच पर पहुंचे। इसके अलावा राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद भी लालू को समर्थन देने पहुंचे। वहीं रैली में यूं तो तमाम दिग्गज पहुंचे लेकिन सबकी निगाहें शरद यादव पर ही थी क्योंकि जेडीयू नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ चेतावनी दी थी कि अगर शरद यादव लालू की रैली में जाते हैं तो उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
नीतीश की चेतावनी को दरकिनाकर कर शरद न सिर्फ रैली में पहुंचे बल्कि खुलेआम लालू को समर्थन का इजहार किया। जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष रहे शरद यादव ने रैली से पहले ही अपने इरादे यह कहकर साफ कर दिए थे कि असली जेडीयू नीतीश कुमार वाली नहीं उनके वाली है।
बता दें कि इस रैली के लिए लालू यादव काफी दिनों से मेहनत कर रहे थे। रैली के बहाने उनकी मंशा विपक्ष को तो एकजुट करने की थी ही भाजपा के खिलाफ भी अपने बूते बड़ा आंदोलन शुरू करने की थी। इसके अलावा वह इस रैली के बहाने अपने बेटे तेजस्वी यादव को भी अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने की तैयारी कर चुके थे। तेजस्वी को लगातार प्रमोट कर रहे लालू यादव के लिए तेजस्वी को आगे बढ़ाने का इससे अच्छा मंच नहीं हो सकता था।
सीएम नीतीश के अलग होने के बाद लालू की ये पहली बड़ी रैली है, जिसमें हजारों समर्थक जुटे हैं। लालू के बेटे और बिहार नेता विपक्ष तेजस्वी यादव खुद रैली की तैयारियों का जिम्मा अपने हाथ में लिए हुए हैं। बताया जा रहा है कि गांधी मैदान में हरे रंग के बैनर्स और होर्डिंग्स लगे हुए हैं।
इससे पहले बिहार में बाढ़ से बुरे हालात होने के बावजूद लालू के समर्थकों को गांधी मैदान पहुंचने की हिदायत दी गई। राज्य के 20 जिले बाढ़ की चपेट हैं, फिर भी बस, ट्रेन और अन्य वाहनों से समर्थकों को यहां लाया जाया गया।