बुरहानपुर जिले के खकनार ब्लाक में स्थित अब कम जाने जाना वाला गाँव साजनी कभी निमाड़ इतिहास में विशेष स्थान रखता था. निमाड़ –मालवा का राजपूत इतिहास इससे ही जुड़ा है. ताप्ती नदी की घाटी का यह इलाका पुरातन समय में घने जंगलों से भरा था. पर मुग़ल और मराठा शासन के दौरान यहाँ आबादी और खेती बढ़ी. जब लगभग 50 मील दूर बुरहानपुर में दक्खिन के मुग़ल वाइसराय की कचहरी लगा करती थी और बड़ी संख्या में सेनाएं उत्तर या दक्षिण की और कूच किया करती थी. इनके खाने के इंतज़ाम के लिए बड़ी मात्रा में अनाज और अन्य सामग्री की जरूरत पड़ती थी. इसी कारण इस क्षेत्र में पुराने जर्जर किलों, मकबरों और मजारों के अवशेष मिलते हैं.
उन दिनों में साजनी एक प्रमुख शहर के रूप में जाना जाता था. यहाँ आज तक एक प्राचीन मज़ार स्थित है. यह एक सैकड़ों वर्ष पुराने बरगद के पेड़ के नीचे स्थित है. ब्रिटिश कैप्टेन फोरसिथ ने 1919 में इस के विवरण में लिखा था कि इस बरगद के पेड़ की जडें जमीन में समां गयीं थी और 12 फीट लम्बी –चौड़ी मजार को धरती से ऊपर उठा दिया था. आज भी यह मजार उसी पुरातन बरगद के पेड़ के नीचे स्थित है और पूरी तरह पेड़ की हजारों जड़ों से घिरी है.
मजार के पास ही एक छोटी नदी बहती है जिसमे साल भर पानी रहता है और इसमें गुल्लर के अनेकों पेड़ हैं. लोग मानते हैं की नदी का श्रोत किसी गुल्लर के पेड़ के नीचे है.
स्थानीय लोग इसे सैय्यद जलाउद्दीन रेह्मत्तुलाह की दरगाह बताते हैं. यहाँ पिछले बीस वर्षों से रंग पंचमी के पहले मेला लगता है.
:-सीमा प्रकाश