भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में एक अप्रैल को पांच सहयोगी बैंकों का विलय हो जाएगा. इसके बाद एसबीआई ने इन बैंकों की करीब आधी शाखाओं को बंद करने का फैसला किया है, जिसमें तीन बैंकों का मुख्यालय भी शामिल है. बैंक शाखाओं की बंद करने की प्रक्रिया 24 अप्रैल से शुरू होगी.
एसबीआई के प्रबंध निदेशक दिनेश कुमार खारा ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत में कहा, “पांच सहयोगी बैंकों के मुख्यालयों में से हम केवल दो को जारी रखेंगे. तीन सहयोगी बैंकों की शाखाओं के साथ 27 जोनल कार्यालय, 81 क्षेत्रीय कार्यालय और 11 नेटवर्क कार्यालयों को बंद कर दिया जाएगा.”
खारा ने कहा, “हम सहयोगी बैंकों की शाखाओं को 24 अप्रैल तक बनाए रखेंगे और उसके बाद इनको बंद करने की प्रक्रि या शुरू कर दी जाएगी, जिनमें नियंत्रण कार्यालय, मुख्यालय, क्षेत्रीय कार्यालय, जोनल कार्यालय और नेटवर्क कार्यालय शामिल हैं.”
जिन पांच सहयोगी बैंकों का एसबीआई में विलय हो रहा है, उनमें एसबीबीजे (स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर), एसबीएम (स्टेट बैंक ऑफ मैसूर), एसबीटी (स्टेट बैंक ऑफ ट्रावनकोर), एसबीपी (स्टेट बैंक ऑफ पटियाला) और एसबीएच (स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद) शामिल हैं.
एसबीआई देश का सबसे बड़ा बैंक है, जिसकी परिसंपत्तियां 30.72 लाख करोड़ रुपये की है और वैश्विक रैकिंग में यह 64वें नंबर पर है (दिसंबर 2015 के आंकड़ों पर आधारित, दिसंबर 2016 के आंकड़े अभी तक आए नहीं हैं).
इस विलय के बाद एसबीआई की परिसंपत्तियां बढ़कर 40 लाख करोड़ रुपये हो जाएंगी. इसके साथ ही यह दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में शामिल हो जाएगा.
एसबीआई के मुख्य अर्थशा सौम्य कांति घोष ने आईएएनएस को बताया कि विलय के बाद बैंक दुनिया में 45 नंबर पर आ जाएगा.
खारा ने कहा, “बैंक की शाखाओं को इसलिए बंद किया जा रहा है, ताकि एक ही क्षेत्र में शाखाओं का दोहराव न हो. हम नियंत्रण संरचना में किसी प्रकार के दोहराव को हटाना चाहते हैं. – एजेंसी