न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि केंद्र ने इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है जबकि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत पर्याप्त शक्तियां उसके साथ उपलब्ध थीं। शीर्ष अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय मांगने के बाद सरकार को समय दे दिया।
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को देश की अर्थव्यवस्था को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण घोषित ऋण स्थगन को लेकर केंद्र की कथित निष्क्रियता पर ध्यान दिया और उसे एक हफ्ते के अंदर अपने रुख को स्पष्ट करने के लिए कहा। सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा कि अर्थव्यवस्था के साथ जो दिक्कत हुई है वो केंद्र के सख्त लॉकडाउन लागू करने की वजह से हुई है।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि केंद्र ने इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है जबकि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत पर्याप्त शक्तियां उसके साथ उपलब्ध थीं। शीर्ष अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय मांगने के बाद सरकार को समय दे दिया।
Supreme Court asks Centre to file a reply and make its stand clear on giving moratorium on charging interest on loan as well as interest-on-interest during moratorium period declared during #COVID19 pandemic. The matter to be heard next on September 1. pic.twitter.com/qxDRqtrHXM
— ANI (@ANI) August 26, 2020
अदालत ने कहा, ‘यह समस्या आपके (केंद्र सरकार) लॉकडाउन की वजह से पैदा हुई है। यह समय व्यवसाय करने का नहीं है, बल्कि इस वक्त तो लोगों की दुर्दशा पर विचार करना होगा।’ मेहता ने कहा, ‘माय लॉर्ड आप ऐसा मत कहिए। हम आरबीआई के साथ समन्वय में काम कर रहे हैं।’ पीठ में शामिल न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह ने भी सॉलिसिटर जनरल से कहा कि केंद्र आपदा प्रबंधन अधिनियम पर रुख स्पष्ट करें और बताएं कि क्या मौजूदा ब्याज पर अतिरिक्त ब्याज लिया जा सकता है।
मेहता ने तर्क दिया कि सभी समस्याओं का एक सामान्य समाधान नहीं हो सकता। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ को सूचित किया कि ऋण स्थगन की समय सीमा 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगी और उन्होंने इसके विस्तार की मांग की। सिब्बल ने कहा, ‘मैं केवल यह कह रहा हूं कि जब तक इस याचिका पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक ऋण स्थगन की अवधि खत्म नहीं होनी चाहिए।’ इस मामले की अगली सुनवाई अब एक सितंबर को होगी।