नई दिल्ली : देश में नोटबंदी का फैसला असंवैधानिक है या नहीं, इस पर फैसला लेने के सुप्रीम कोर्ट ने नौ सवाल तय किए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई अब 14 दिसंबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय बेंच कर रही है।
मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने केंद्र सरकार से सीधे सवाल करते हुए कहा कि अगर आप 24000 रुपए हर सप्ताह निकालने की सुविधा एक व्यक्ति को नहीं दे पा रहे हैं तो ऐसा फैसला क्यों किया गया।
केंद्र सरकार से सवाल पूछते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार यह बताएं कि क्या जिला कॉपरेटिव बैंक में पुराने 500-1000 रुपए के नोटों को जमा किए जाने की अनुमति दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या इस बात को सुनिश्चित किया जा सकता है कि एक व्यक्ति एक सप्ताह में 24,000 रुपए निकाल सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही केंद्र सरकार से जवाब देने के लिए कहा है कि क्या सरकारी अस्पतालों में पुराने 500-1000 रुपए के नोट इस्तेमाल की सीमा सरकार बढ़ाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से नोटबंदी के फैसले को लागू करने को लेकर सवाल करते हुए पूछा है कि क्या जब आप विमुद्रीकरण को लेकर पॉलिसी तैयार कर रहे थे तो क्या गोपनीय था?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल करते हुए कहा है कि आपने एक दिन में बैंक खातें से 24000 रुपए निकालने का नियम क्यों बनाया, जब उस नियम को पूरा ही नहीं किया जा पा रहा है। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस नोटबंदी पर चल रही सुनवाई को 14 दिसंबर तक के लिए टाल दिया है।
अटॉर्नी जनरल ने नोटबंदी के फैसले को लागू के पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि लोगों की दिक्कतों को कम करने के लिए सारे जरूरी कदम उठाएं जा रहे हैं। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के तीनों जजों को बताया कि एटीएम में पैसें नहीं हैं। एटीएम के रिकेलिब्रेशन के काम को ठीक से नहीं किया गया है। को-ऑपरेटिव बैंकों के साथ भेदभाव किया गया।
आपको बतादें कि देश भर में इस फैसले को लागू करने के बाद सारे बैंक कैश की कमी से जूझ रहे हैं। बैंकों के बाहर लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई हैं। पर लोगों को कैश नहीं मिल पा रहा है। वहीं दूसरी तरफ सरकार का पूरा जोर कैशलेस इकॉनमी की तरफ है और वो लोगों को अधिक से अधिक डिजिटल बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट का सहारा लेने के लिए कह रही है।