कोलकाता : निजी स्कूल ने 10 छात्राओं पर लेस्बियन होने का आरोप लगाया है। इसके बाद छात्राओं के परिजनों ने स्कूल में आकर हंगामा कर दिया। इस दौरान परिजनों की स्कूल की संचालिका के साथ काफी बहस भी हुई।
घटना दक्षिणी कोलकाता के कमला गर्ल्स स्कूल की है। हंगामा कर रहे परिजनों का कहना है कि स्कूल मैनेजमेंट ने जबरदस्ती छात्राओं से लेस्बियन होने की बात कबूल कराकर उनसे लिखित में एक पत्र लिया है।
वहीं, स्कूल की संचालिका ने परिजनों के आरोपों को नकार दिया। स्कूल संचालिका का कहना है कि कुछ छात्राओं ने आरोपी 10 छात्राओं के खिलाफ शिकायत की थी। इसके बाद मैनेजमेंट ने आरोपी छात्राओं को बुलाया और उनसे पूछताछ की तो उन्होंने यह बात कबूल कर ली।
स्कूल संचालिका ने कहा कि संवेदनशील मामला होने के कारण हमने आरोपी छात्राओं से यह बात लिखित में भी देने को कहा। स्कूल संचालिका ने कहा कि मामले के खुलासे के बाद हमने छात्राओं के अभिभावकों को इस मामले पर चर्चा के लिए स्कूल बुलाया।
हमारा उद्देश्य सिर्फ ये था कि अभिभावकों से बात करके छात्राओं को सही रास्ते पर लाया जाए। लेकिन इस मामले से आरोपी छात्राओं के अभिभावक भड़क गए और उन्होंने हंगामा कर दिया। परिजनों का कहना है कि स्कूल प्रशासन ने अकारण ही आरोप लगाकर लड़कियों का भविष्य खराब कर दिया है।
अभिभावकों ने स्कूल मैनेजमेंट के आरोपों को बेबुनियाद और झूठा करार दिया है। एक अभिभावक ने कहा कि अगर 2 लोग हाथ में हाथ डालकर या कंधे पर हाथ रखकर चल रहे हैं, तो इसका मतलब ये नहीं कि दोनों लेस्बियन हैं।
लोगों का कहना है कि समलैंगिकता को लेकर बनी भारतीय कानून की धारा 377 देश की आजादी से भी पुरानी है। उल्लेखनीय है कि इस धारा को साल 1861 में लागू किया गया था। बहरहाल, मामले की जांच चल रही है।
बता दें कि पिछले साल हरियाणा के करनाल में भी एक आवासीय स्कूल में 2 छात्राओं ने 11वीं की एक छात्रा पर लेस्बियन संबंध बनाने का दबाव बनाया था, जिसके बाद पीड़ित छात्रा ने खुदकुशी कर ली थी। घटना के बाद आरोपी छात्राओं को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ धारा 306 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।