उन्होंने कहा कि सरकार में आने से पहले कांग्रेस पार्टी ने जनता से जो वादे कि थे उसे एक साल बाद भी पूरा नहीं किया गया। ऐसे में मैंने पार्टी छोड़ दी।
मध्य प्रदेश में जारी राजनीतिक घमासान के बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी छोड़ने की वजह बताई है।
उन्होंने कहा है कि पिछले एक साल से मध्य प्रदेश सरकार में युवाओं की बातें नहीं सुनी जा रही थीं। प्रदेश सरकार में भ्रष्टाचार व्याप्त था। साथ ही किसानों से किया गया कर्जमाफी का वादा भी पूरा नहीं किया गया।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि इन्हीं वजहों के चलते उन्हें कांग्रेस पार्टी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि सरकार में आने से पहले कांग्रेस पार्टी ने जनता से जो वादे कि थे उसे एक साल बाद भी पूरा नहीं किया गया। ऐसे में मैंने पार्टी छोड़ दी।
बता दें कि कांग्रेस पार्टी को अलविदा कहने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीते 11 मार्च को आधिकारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में उन्हें भगवा पटका पहनाया गया था।
इस दौरान नड्डा ने ग्वालियर राजवंश के ‘महाराज’ का अभिनंदन किया तो वहीं सिंधिया ने नड्डा के साथ पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया था।
बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने के करीब एक घंटे बाद ही उन्हें पार्टी ने राज्यसभा का टिकट देने का ऐलान कर दिया था। इसके साथ ही खबर यह भी है कि सिंधिया को केंद्र की नरेंद्र मोदी कैबिनेट में अहम जगह मिल सकती है।
वहीं, सिंधिया के पार्टी से इस्तीफे के बाद मध्य प्रदेश में मचे राजनीतिक उथल-पुथल के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था कि पार्टी के 22 असंतुष्ट विधायकों में से 13 कांग्रेस में वापसी करने को तैयार हैं।
सिंह ने यह भी कहा था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी ने मध्य प्रदेश में डिप्टी सीएम बनने का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने अपनी जगह किसी और को इस पद पर लाने की बात कही। इसके लिए सीएम कमलनाथ तैयार नहीं हुए।
दिग्विजय सिंह ने माना कि उन्हें या पार्टी को यह अंदाजा नहीं था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि यह हमारी भूल थी।
दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्र में मंत्री पद पाने को लेकर अति-महत्वाकांक्षी करार दिया था।
उन्होंने कहा था, ‘ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा के उम्मीदवार हो सकते थे, लेकिन उन्हें केंद्र में मंत्री पद का लोभ था, जो सिर्फ मोदी और शाह ही पूरी कर सकते थे, इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ दी।’
सिंह ने कहा था, ‘सिंधिया के पार्टी छोड़ने से पहले उन्हें कांग्रेस की तरफ से एमपी में डिप्टी सीएम बनने का ऑफर भी दिया गया था, लेकिन उन्होंने अपनी जगह किसी प्रतिनिधि को इस पद पर रखने को कहा। कमलनाथ ने सिंधिया के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। सीएम कमलनाथ इस पद के लिए सिंधिया के नाम पर राजी थे, लेकिन उनके किसी ‘चेले’ को डिप्टी सीएम बनाने के लिए तैयार नहीं हुए।’