भोपाल – मणिपुर में सेना की टुकड़ी पर आतंकी हमले में शहीद हुए रीवा जिले के जवान जीतेन्द्र कुशवाहा के परिजनों से एसडीओपी ने अपमानजनक व्यवहार किया। दरअसल, कुशवाह के परिजनों का कहना था कि जब तक सीएम शिवराज सिंह चौहान नहीं आते तब तक, वह अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। परिजनों की मांग से भड़के एसडीओपी ने उनसे कहा, ‘मत करो अंतिम संस्कार और शव को रखे रहो अपने घर में।’ शहीद जीतेन्द्र का शव शनिवार को उनके गांव पहुंच रहा है। लेकिन गांव के लोग एसडीओपी के व्यवहार को लेकर बेहद खफा हैं।
जीतेन्द्र कुशवाह मणिपुर में शहीद हुए सेना के 20 जवानों में से एक थे। उनका शव शनिवार को गांव लाया जा रहा है। शहीद के परिवार की मांग है कि जब तक सीएम यहां नहीं आते तब तक वह अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। परिवार ने जब यह मांग त्योंथर थाने के एसडीओपी महेंद्र सिंह ठाकुर को फोन पर बताई तो एसडीओपी ठाकुर ने बेहद अपमानजनक रवैया अपनाया। ठाकुर ने कहा, ‘ये बात तुम हमें क्यों बता रहे हो। नहीं करना है दाह संस्कार तो मत करो-रखे रहो शव को अपने घर में।’ मीडिया ने जब ठाकुर से उनका पक्ष जानना चाहा तो ठाकुर ने ऐसी किसी बातचीत से ही इनकार कर दिया। शहीद जीतेन्द्र के परिजनों के पास ठाकुर से बातचीत की फोन रिकॉर्डिंग भी मौजूद है।
जानकारी के मुताबिक एसडीओपी जब बाद में शहीद के गांव पहुंचे तो नाराज ग्रामीणों ने उन्हें वहां से खदेड़ दिया। शहीद जीतेन्द्र की इसी साल 18 अप्रैल को शादी हुई थी। शादी के एक महीने बाद 19 मई को वह अपनी ड्यूटी पर वापस लौट गया था।
मणिपुर के चंदेल के जंगलों में गुरुवार की सुबह उग्रवादियों के हमले में शहीद हुए 18 सैनिकों को राज्य की राजधानी इंफाल में श्रद्धांजलि दी गई। शहीदों के शव शनिवार को उनके पैतृक निवास विमान के जरिए भेजे जा रहे हैं।
मणिपुर के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने कहा है कि सेना की टुकड़ी पर हमला खुफिया एजेंसियों के लिए एक सबक है। इबोबी सिंह के मुताबिक यह इंटेलिजेंस एजेंसियों की जिम्मेदारी है और उन्हें इससे सीखना चाहिए। मणिपुर के सीएम ने यह भी कहा, ‘म्यांमार सरकार हमारी मदद करे। घुसपैठिए आसानी से सीमा पार कर म्यांमार में घुस जाते हैं।’