मुंबई – नासिक और त्र्यंबकेश्वर में रविवार सुबह कुंभ का दूसरा शाही स्नान शुरू हुआ। त्र्यंबकेश्वर में कुल 10 अखाड़े हैं। सबसे पहले आनंद और निरंजन अखाड़े ने शाही स्नान किया। शाही स्नान पर करीब 80 लाख लोगों पवित्र डुबकी लगाने का अनुमान है। खबर है कि शाही स्थान के लिए जाते हुए महंतों के साथ धक्कामुक्की की गई, इसमें कुछ साधुओं को चोटें भी आई हैं। धक्कामुक्की का कारण यह बताया जा रहा है कि साधु-संतों के स्नान का समय निकल चुका था, जिसके बाद कुंड को आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया और इस बीच साधु-संतों की टोली भी पहुंच गई। इस कारण थोड़ी अव्यवस्था फैली और आम लोगों व साधु-संतों के बीच धक्का-मुक्की हुई।
नासिक के रामकुण्ड में सुबह 6 बजे से 8 बजे तक वैष्णव साधुओं का शाही स्नान हुआ और फिर रामकुंड भक्तों के स्नान के लिए खोला गया। यहां सबसे पहले निर्मोही अखाड़ा ने शाही स्नान किया और फिर दिगंबर और निर्वाणी अखाड़े ने शाही स्नान करेंगे। इन तीन अखाड़ों के करीब 700 खालसे हैं, जिनमें सैंकड़ों साधू हैं।
गौरतलब है कि पहला शाही स्नान 29 अगस्त को हुआ था, जिसके बाद आज दूसरा शाही स्नान है, नासिक में अगला शाही स्नान 18 सितंबर को होगा, वहीं त्र्यंबकेश्वर में शाही स्नान 25 सितंबर को होगा।
नासिक एवं त्र्यंबकेश्वर में चल रहे सिंहस्थ कुंभ के दूसरे शाही स्नान की पूर्व संध्या पर नासिक में हुई जोरदार वर्षा ने प्रशासन और श्रद्धालुओं दोनों को राहत पहुंचाई है। रविवार सुबह होने जा रहा दूसरा शाही स्नान इस बार के सिंहस्थ कुंभ का प्रमुख स्नान है। अमावस्या तिथि को होने जा रहे इस शाही स्नान में एक करोड़ श्रद्धालुओं के पवित्र गोदावरी में डुबकी लगाने की संभावना है। महाराष्ट्र इस समय भीषण सूखे के दौर से गुजर रहा है। पवित्र गोदावरी में भी पानी की कमी है। इसलिए कुंभ के शाही स्नानों के दिन महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण समीपवर्ती गंगापुर बांध से गोदावरी में पानी छोड़ता है। रविवार को भी प्रमुख शाही स्नान के समय 12 लाख लीटर पानी गोदावरी में छोड़ने की योजना बनाई गई थी। किंतु शाही स्नान की पूर्व संध्या पर नासिक एवं आसपास हुई वर्षा से प्रशासन राहत महसूस कर रहा है। उसे उम्मीद है की वर्षा के कारण गोदावरी का जलस्तर स्वतः ऊपर आएगा और बाहर से नदी में कम पानी छोड़ना पड़ेगा।
रविवार को होने जा रहे प्रमुख शाही स्नान के दौरान श्रद्धालुओं के स्नान घाटों तक पहुंचने की व्यवस्था में परिवर्तन के संकेत प्रशासन से मिले हैं। पहले शाही स्नान के दौरान श्रद्धालुओं को नासिक एवं त्रयंबकेश्वर के स्नान घाटों तक पहुंचने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा था। इस असुविधा के कारण श्रद्धालु बहुत कम संख्या में आए। स्थानीय नागरिक भी बाहर नहीं निकले। विभिन्ना अखाड़ों के साथ स्नान के लिए जाने वाले भक्तों की संख्या भी काफी कम रही। इससे संतों में नाराजगी देखी गई थी। कुछ प्रमुख संतों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस व्यवस्था के प्रति विरोध जताया था।
नासिक की ओर आने वाले मार्गों पर पुलिस की चौकसी शनिवार को भी पहले जैसी ही दिखाई दी। लेकिन, राज्य सरकार के प्रवक्ता सतीश ललित का कहना है कि शाही स्नान के दिन इस बार श्रद्धालुओं को दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा।