भोपाल- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ सोशल मीडिया में की गई आपत्तिजनक पोस्ट के मामले को लेकर मध्यप्रदेश पुलिस एक युवक पर एफआईआर कर उसको गिरफ्तार कर जेल भेजने के मामले में अब फंसती नजर आ रही है। दरअसल पुलिस ने जिस धारा में युवक को गिरफ्तार कर जेल भेजा वह धारा सुप्रीम कोर्ट काफी पहले ही ख़त्म कर चुकी है !
अब इस मामले में पुलिस को कोर्ट के सामने चार्जशीट दाखिल करनी है लेकिन करे तो करे किस धारा में। हालांकि युवक जमानत पाकर जेल से बाहर आ चुका है लेकिन मामला पुलिस के गले की हड्डी बन चुका है।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार मामला चार महीने पुराना है, जब शिओपुर कस्बे की पुलिस ने 2 नवंबर को 25 वर्षीय सत्तार खान को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ फेसबुक पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में आईटी एक्ट की धारा 66 ए के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
ज्ञात हो कि पुलिस ने मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के बालापुर से सतार खान को 2 नवंबर 2015 गिरफ्तार किया था। बाद में उसे बेल मिल गई थी। कोतवाली पुलिस स्टेशन के इंचार्ज सतीश सिंह चौहान ने रविवार (20 मार्च) को बताया, “हमें समझ नहीं आ रहा है कि इस मामले में आगे की कार्रवाई कैसे की जाए? क्योंकि हमें बाद में पता चला कि धारा 66 (ए) को सुप्रीम कोर्ट निरस्त कर चुका है।
हमने केस से संबंधित जानकारी जिला अभियोजन कार्यालय भेजा है।” चौहान ने कहा, “हमने उसे गिरफ्तार किया क्योंकि स्थानीय संघ कार्यकर्ता मोहन भागवत के संबंध में उसके द्वारा फेसबुक पर की गई टिप्पणी से गुस्से में थे और वे भारी संख्या में केस दर्ज कराने पहुंचे थे।”
आपको बता दें कि इस प्रकार के मामले को लेकर केवल शिओपुर पुलिस ही परेशान नहीं है बल्कि अनूपपुर की पुलिस ने भी धारा 66 (A) और 153 (A) के तहत एक अन्य मुस्लिम युवक मोहम्म्द दानिश के खिलाफ मामला दर्ज कर रखा है। यह मामला कोटमा पुलिस स्टेशन में दर्ज है। इसके अलावा कुछ दिनों पहले खरगौन में भी दो युवकों को आरएसएस प्रमुख के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है।