वॉशिंगटन: प्रभावशाली अमेरिकी सांसदों के समूह ने विदेश मंत्री माइक पोम्पियो को पत्र लिखा है और उनसे अपील की है कि वो अपने भारतीय समकक्ष के साथ भारत में चल रहे किसान आंदोलन के मामले को उठाएं। इस समूह में भारतीय मूल की अमेरिकी सीनेटर प्रमिला जयपाल भी शामिल हैं।
भारत ने विदेशी नेताओं और राजनैतिकों के बयान का जवाब देते हुए इसे गलत सूचित और अनुचित बताया है। भारत की ओर से बयान दिया गया है कि ये एक लोकतांत्रिक देश का आंतरिक मामला है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने महीने की शुरुआत में कहा था कि भारत में किसान आंदोलन को लेकर हमें कुछ गलत कमेंट्स सुनने को मिल रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के बयान अनुचित हैं, खासकर जब वो एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से संबंधित हो। 23 दिसंबर को सांसदों ने माइक पोम्पियो को पत्र लिखा था। सांसदों का कहना है कि ये मुद्दा विशेष तौर पर सिख अमेरिकी लोगों से जुड़ा हुआ है, जो पंजाब से संबंध रखते हैं।
सांसदों ने पत्र में लिखा कि कई भारतीय-अमेरिकी लोगों पर प्रत्यक्ष तौर पर असर पड़ रहा है, क्योंकि उनके परिवार के सदस्य इससे जुड़े हुए हैं। इसलिए वो भारत में रहने वाले अपने परिवार की चिंता कर रहे हैं। इस गंभीर मुद्दे पर हम आपसे अपील करते हैं कि आप भारतीय समकक्ष से संपर्क करें।
हम मौजूदा कानून के अनुपालन में राष्ट्रीय नीति निर्धारण के लिए भारत सरकार के अधिकार का सम्मान करते हैं। हम उन लोगों के अधिकारों को भी स्वीकार करते हैं, जो शांतिपूर्ण तरीके से भारत और विदेशों में इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
बता दें कि 26 नवंबर से पंजाब, हरियाणा और दूसरे राज्यों के हजारों किसान इन कानूनों के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। दिल्ली की अलग-अलग सीमा पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि सितंबर में लागू किए गए इन कानूनों को वापस लिया जाए।
इन कानूनों को किसान विरोधी कानून कहा जा रहा है। किसानों का दावा है कि ये नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म कर देंगे और किसानों को बड़े उद्योगपतियों की दया पर छोड़ दिया जाएगा।
हालांकि सरकार लगातार यही कहती नजर आ रही है कि नए कानूनों से किसानों का भला होगा और किसानों को बेहतर अवसर मिलेंगे। अब तक किसानों के प्रतिनिधि और सरकार के बीच कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं लेकिन अभी तक कोई भी हल नहीं निकल पाया है।
पिछले कई हफ्तों से दर्जन भर से ज्यादा अमेरिकी सांसद भारत में चल रहे किसान प्रदर्शन के खिलाफ अपनी चिंताएं व्यक्त कर चुके हैं।