जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने सात साल के एक बच्चे द्वारा पबजी गेम पर प्रतिबंध लगाने के लिए लिखे गए पत्र को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करते हुए केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।
सात साल के एक स्कूली बच्चे ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर इस गेम को बंद करने की मांग रखी थी। हाईकोर्ट ने इस पत्र को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर लिया।
वीरवार को जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस ताशी रबस्टन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए महिला एवं बाल मंत्रालय, सूचना तकनीकी विभाग और मानव संसाधन मंत्रालय के सचिवों के हवाले से केंद्र को यह नोटिस दिया गया है।
यह नोटिस एडवोकेट जनरल आफ इंडिया विशाल शर्मा ने केंद्र और एडिशनल एडवोकेट जनरल अमित गुप्ता ने राज्य मुख्य सचिव की तरफ से मंजूर कर लिया है।
दरअसल, सतवारी एयरफोर्स स्कूल के सातवीं कक्षा के छात्र कुशाग्र शर्मा ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा था। जिसे हाईकोर्ट ने इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर लिया।
ये लिखा पत्र में
छात्र ने पत्र में लिखा है कि बहुत से युवा मोबाइल पर निशुल्क मौजूद गेम्स के एडिक्ट हो रहे हैं। जिसमें एक पबजी भी है।
इन मोबाइल गेम्स की वजह से स्टूडेंट्स अपना वक्त जाया कर रहे हैं। वह इस समय को अपनी पढ़ाई पर व्यतीत कर सकते हैं, या फिर अन्य जगह लगा सकते हैं। इन गेम्स की वजह से युवा वर्ग बीमारियों का शिकार हो रहा है।
क्योंकि वह इंडोर गेम्स के चक्कर में आउटडोर गेम्स को भूल चुके हैं। इससे पहले कई बार ऐसा हो चुका है कि गेम्स की वजह से युवाओं की जान तक चली गई।
सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि वह इसमें हस्तक्षेप करे और ऐसे कंटेंट को मोबाइल से हटाएं। इस लेटर को हाईकोर्ट ने जनहित याचिका मानकर केंद्र और राज्य मुख्य सचिव को नोटिस दिया है।