बीबीसी की एक पड़ताल में यह पाया गया कि पारंपरिक समाजों में महिलाओं को निजी किस्म के और कभी-कभी भद्दी तस्वीरों वाले संदेश भेज कर उन्हें शर्मिंदा किया जाता है। यहां महिलाएं ब्लैकमेल का शिकार भी होती हैं और यह तकरीबन पूरे उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के देशों में होता है।
डेनियल सिलास ऐडमसन ने मान-मर्यादा और शर्म-लिहाज की पारंपरिक मान्यताओं का स्मार्टफोन और सोशल मीडिया से टकराव को समझने की कोशिश की है। साल 2009 में मिस्र की गदीर अहमद ने अपने बॉयफ्रेंड को एक विडियो क्लिप भेजा।
वीडियो में गदीर अपनी एक दोस्त के घर नाच रही थीं। उसमें अश्लील या व्यस्कों जैसा कुछ नहीं था, हां गदीर ने ‘पारंपरिक लिहाज से थोड़े कम लिबास’ जरूर पहन रखे थे। तब गदीर 18 साल की थीं। तीन साल बाद जब उनका रिश्ता टूटा तो लड़के ने बदला लेने के लिए वीडियो यूट्यूब पर पोस्ट कर दिया।
सोशल मीडिया पर उस वीडियो को लेकर गदीर पर हमले जारी हैं
गदीर बेचैन हो गईं। उन्हें सारी बात पता थी। वो डांस, उनकी ड्रेस और वीडियो पाने वाला बॉयफ्रेंड….एक ऐसे समाज में जहां महिलाओं से बदन ढक कर रखने और शर्म के साये में रहने की उम्मीद की जाती है, यह सब कुछ उनके मां-बाप को कतई बर्दाश्त नहीं होने वाला था और न ही उनके पड़ोसियों को।
वीडियो भेजने के बाद के सालों में गदीर ने मिस्र की क्रांति में हिस्सा लिया था, अपना हिजाब उतारा था और महिलाओं के हक की बात की थी। किसी लड़के की ओर से उन्हें सबके सामने जलील करने की कोशिश से नाराज़ गदीर ने कानून का सहारा लिया।
हालांकि लड़के को कसूरवार करार देने में कामयाब होने के बावजूद भी वो वीडियो यूट्यूब पर बरकरार था। गदीर ने पाया कि सोशल मीडिया पर उस वीडियो को लेकर उन पर हमले जारी हैं। साल 2014 में इससे तंग आकर गदीर ने एक हिम्मत भरा फैसला लिया। इस वीडियो को उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया।
“औरतों के शरीर को लेकर उन्हें शर्मिंदा और खामोश करना गलत है”
उन्होंने कहा, “औरतों के शरीर को लेकर उन्हें शर्मिंदा और खामोश करना ग़लत है। यह बंद होना चाहिए। वीडियो देखिए। मैं एक अच्छी डांसर हूं और शर्मिंदा होने के लिए मेरे पास कोई वजह नहीं है।” दूसरी अरबी महिलाओं के बनिस्बत गदीर ज्यादा मुखर हैं लेकिन उनके हालात तो वैसे ही हैं।
बीबीसी की पड़ताल में पता चला कि ऐसी तस्वीरों या विडियो क्लिप्स के जरिए हजारों नौजवान लोगों को डराया-धमकाया जा रहा है। उन्हें शर्मिंदा किया जाता है और ब्लैकमेलिंग के मामले भी सामने आते हैं। इन तस्वीरों के पीछे कभी-कभी इश्क की नादानी होती है या फिर कुछ लोगों को ये ‘मर्यादा’ लांघती हुई लगती हैं।
‘रीवेंज पॉर्न’ या ‘अश्लीलता का सहारा लेकर बदला लेने’ की समस्या हर देश में मौजूद
ये तस्वीरें मर्दों को किसी तरह हासिल हो जाती हैं, कभी सहमति से, कभी ताकत के जोर पर और इनका इस्तेमाल औरतों को डराने, रकम उगाहने और उनके यौन शोषण के लिए किया जाता है। ‘रीवेंज पॉर्न’ या ‘अश्लीलता का सहारा लेकर बदला लेने’ की समस्या धरती पर मौजूद तकरीबन हर देश में मौजूद है।
ऐसी तस्वीरें कुछ लोगों के लिए औरतों को शर्मिंदा करने का हथियार बन जाती हैं और दुनिया के कुछ समाजों में शर्म एक गंभीर मामला है। जॉर्डन के अम्मान में महिला अधिकारों के लिए काम कर रहीं इनाम अल-आशा कहती हैं, “पश्चिम का समाज अलग है। एक नंगी तस्वीर किसी लड़की को केवल शर्मिंदा कर सकती है लेकिन हमारे समाज में यह उसकी मौत का कारण बन सकता है। और अगर वह जिंदा बच भी जाती है तो उसे सामाजिक बहिष्कार का सामना कर पड़ सकता है। लोग उससे दूरी बनाएंगे और एक दिन वह अलग-थलग पड़ जाएगी।”
यौन शोषण के ज्यादातर मामले दर्ज नहीं किए जाते
बीबीसी की इस सिरीज की कहानियों में से यह एक कहानी है। किसी लड़की की निजी तस्वीरों के जरिए उसे डराना, धमकाना ब्लैकमेल करने का चलन अभी नया है पर परेशान करने वाला है। यौन शोषण के ज्यादातर मामले दर्ज नहीं किए जाते हैं और ऐसा करने वाली ताकतें ही यह भी तय करती हैं कि लड़कियां खामोश रहें।
लेकिन दर्जनों देशों में वकीलों, पुलिस और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बीबीसी को बताया कि स्मार्टफोन और सोशल मीडिया ने ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग की समस्या को महामारी की तरह फैला दिया है। जहरा शरबती जॉर्डन में पेशे से वकील हैं। पिछले दो-तीन साल में महिलाओं को तस्वीरों के सहारे शर्मिंदा करने, उन्हें डराने-धमकाने के कम से कम 50 मामले वह देख चुकी हैं। उन्होंने बीबीसी को बताया, “मुझे लगता है कि इस तरह के मामलों की संख्या 1000 से कम नहीं है। एक लड़की को तो इस वजह से जान भी गंवानी पड़ी थी।”
मध्य पूर्व के वेस्ट बैंक में महिलाओं के लिए वेबसाइट चलाने वाले कमाल महमूद बताते हैं, “कभी-कभी तो इन तस्वीरों में सेक्स जैसी कोई बात नहीं होती है।।। बिना हिजाब वाली लड़की की तस्वीर का भी कोई मर्द बेजा इस्तेमाल कर सकता है, उस पर और तस्वीरें भेजने का दबाव डाल सकता है।”
यह दिक्कत केवल खाड़ी के देशों की ही नहीं है, भारत और पाकिस्तान में भी ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील पवन दुग्गल कहते हैं, “भारत में इसकी सख्या रोजाना हजारों में हो सकती है।” पाकिस्तान में ऑनलाइन दुनिया को लड़कियों के लिए महफूज बनाने की दिशा में काम कर रहे एक गैर-सरकारी संगठन के मुखिया निगहत दाद ने बताया, “पाकिस्तान में हर दिन दो या तीन लड़किया और साल भर में तकरीबन नौ सौ इसका शिकार होती हैं।”
भारत-पाक में फोन का इस्तेमाल यौन हमलों को रिकॉर्ड करने में किया जा रहा
भारत और पाकिस्तान में चिंता की एक बात और भी है कि मोबाइल फोन का इस्तेमाल यौन हमलों को रिकॉर्ड करने में किया जा रहा है। अगस्त, 2016 में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ अखबार ने एक रिपोर्ट में बताया कि उत्तर प्रदेश में हर दिन रेप के वीडियो क्लिप्स हजारों की तादाद में बेचे जाते हैं।
ऐसे ही एक मामले में 40 वर्षीय महिला स्वास्थ्यकर्मी ने व्हॉट्स ऐप पर गैंग रेप का वीडियो आने के बाद खुदकुशी कर ली थी। बीबीसी की पड़ताल में पता चला कि उसने गांव के बुजुर्गों से मदद मांगी थी पर किसी ने उसका साथ नहीं दिया। पाकिस्तान की कंदील बलोच का मामला भी कुछ ऐसा ही था।
पाकिस्तानी समाज की मान्यताओं की चुनौती देने की वजह से उनके अपने ही भाई ने उनका कत्ल कर दिया। बीबीसी की इस सिरीज में मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और दक्षिण एशियाई देशों में ‘शर्म-हया’ जैसे मुद्दे को लेकर नई टेक्नॉलॉजी और पुरानी मान्यताओं के बीच चल रही खींचतान पर रोशनी डाली गई है। [एजेंसी]