शाहरुख खान की जिस फिल्म ने युवाओं को प्यार करना सिखाया, उस फिल्म की रिलीज को 20 साल पूरे हो गए। मगर आज भी उतनी ही रोमांटिक और उतनी ही फ्रेश लगती है। जी हां, बात कर रहे शाहरुख खान को बॉलीवुड का किंग खान बनाने वाली और प्यार की नई परिभाषा गढ़ने वाली सदाबहार फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, जिसके नाम से ही दिल में गिटार बजने लगते हैं।
यह फिल्म 1995 में रिलीज हुई थी और इस फिल्म ने बॉलीवुड को एक जादुई जोड़ी भी दी, जिनका जलवा कभी खत्म नहीं होने वाला। मगर क्या आपको पता है कि राज के किरदार में बांहे फैलाकर रोमांस का नया अंदाज पूरी दुनिया के सामने पेश करने वाले शाहरुख खान ने लगभग इस फिल्म के लिए ना ही कह दिया था, क्योंकि उन्हें अपना ये किरदार कुछ ज्यादा ही ‘गर्लिश’ लग रहा था।
दरअसल, 20 साल पूरे होने के मौके पर ‘मेकिंग ऑफ डीडीएलजे’ नाम से एक डॉक्यूमेंट्री रिलीज की गई है, जिसमें शाहरुख खान ने इस बात का खुलासा किया है। इस एक घंटे की डॉक्यूमेंट्री में अनसीन फुटेज और बिहाइंड द सीन शॉट्स के अलावा शाहरुख समेत पूरी कास्ट एंड क्रू के इंटरव्यूज हैं।
इसमें उन्होंने माना है कि वो इस रोमांटिक फिल्म में काम करने को लेकर संदेह में थे, क्योंकि ‘डीडीएलजे’ से पहले उन्होंने ‘बाजीगर’, ‘डर’ और ‘अंजाम’ जैसी डार्क एक्शन-थ्रिलर फिल्मों में काम किया था और इसमें लोगों ने उन्हें काफी पसंद भी किया था।
शाहरुख खान ने इसमें यह बात भी शेयर की है कि कैसे शूटिंग से ठीक पहले अपनी बहन के बीमार होने की वजह से उन्हें काफी कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ा था। इसमें यह भी दिखाया गया है कि काजोल ने ‘मेरे ख्वाबों में जो आए’ गाने में टावेल पहनने से इंकार कर दिया था।
वहीं शाहरुख खान को ‘डीडीएलजे’ के क्लाइमेक्स में एक्शन सीन एड करने के लिए जोर देते हुए भी दिखलाया गया है। इसमें कैमियो करते जूही चावला का अनसीन वीडियो भी है, जिसका फाइनल कट बना ही नहीं।
इस फिल्म ने शाहरुख-काजोल को ग्लोबल स्टारडम दिलाया और उनके जरिए राज-सिमरन घर-घर पहचाने जाने लगे। इस फिल्म ने फिल्मकार करण जौहर, कोरियोग्राफर से डायरेक्टर बनीं फराह खान और डिजाइनर मनीष मल्होत्रा को भी बड़ा प्लेटफॉर्म दिया था, जो इस डॉक्यूमेंटी में भी हैं।
आदित्य चोपड़ा द्वारा निर्देशित ‘डीडीएलजे’ में शाहरुख-काजोल के अलावा अमरिश पुरी, फरीदा जलाल, अनुपम खेर, मंदिरा बेदी समेत सभी स्टार-कास्ट ने अपने किरदार में जान फूंक दी और उन्हें हमेशा के लिए यादगार बना दिया। यह फिल्म आज भी मुंबई के मराठा मंदिर थिएटर में दिखाई जा रही है। पिछले साल 12 दिसंबर को इसके 1,000 हफ्ते पूरे होने का खूब जश्न भी मनाया गया था।