नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन की जमानत याचिका रद्द कर दी है। अदालत के इस फैसले के साथ ही अब शहाबुद्दीन को दोबारा जेल में जाना पड़ेगा । खबरों के अनुसार शहाबुद्दीन ने सरेंडर कर दिया है। शहाबुद्दीन को राजीव रोशन हत्या मामले में मिली थी ।
राजीव रोशन अपने 2 भाइयों गिरीश और सतीश को तेज़ाब से जलाकर मारने का चश्मदीद गवाह था। गिरीश-सतीश मामले में शहाबुद्दीन को उम्र कैद की सज़ा मिली हुई है। इस मामले में भी उसे हाईकोर्ट से बेल मिल चुकी है। इस बेल को तीनों भाइयों की माँ कलावती देवी ने चुनौती दी है।
आज सुप्रीम कोर्ट ने इस पर शहाबुद्दीन और बिहार सरकार को नोटिस जारी किया। यानी, अभी एक और मामले में ज़मानत रद्द होने की संभावना है । वैसे, आज के आदेश के बाद शहाबुद्दीन को तुरंत जेल भेज दिया जाएगा। इससे पहले अदालत ने कल अपना फैसला सुरक्षित रखा था ।
तेजाब से नहलाकर की चश्मदीद की हत्या
शहाबुद्दीन दो भाइयों की तेजाब से नहलाकर हत्या करने और बाद में हत्याकांड के इकलौते गवाह उनके तीसरे भाई राजीव रौशन की हत्या के मामले में भागलपुर जेल में बंद थे। दोहरे हत्याकांड में उन्हें हाई कोर्ट से फरवरी में ही जमानत मिल चुकी थी। बुधवार को गवाह की हत्या के मामले में भी अदालत ने उनकी जमानत मंजूर कर ली। इसके बाद उनकी रिहाई हुई।
ऐसे आए विवादों में
शहाबुद्दीन के अपराध की कहानी 15 मार्च 2001 को लालू की पार्टी के एक नेता को गिरफ्तार करने आए पुलिस ऑफिसर संजीव कुमार को थप्पड़ मारने से शुरू हुई थी। इस घटना के बाद शहाबुद्दीन के समर्थकों और पुलिस के बीच काफी लंबी झड़प हुई। थप्पड़ मारने वाले शहाबुद्दीन के घर पुलिस ने छापेमारी की। इस दौरान शहाबुद्दीन के समर्थकों और पुलिस के बीच गई घंटों तक गोलीबारी हुई। इस घटना में 10 लोग मारे गए और पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा। तभी से उन्हें एक बाहुबली के रूप में पहचाना जाने लगा।
कौन है मोहम्मद शहाबुद्दीन
शहाबुद्दीन एक ऐसा नाम है जिसे बिहार में हर कोई जानता है। मोहम्मद शहाबुद्दीन का जन्म 10 मई 1967 को सीवान जिले के प्रतापपुर में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा दीक्षा बिहार से ही पूरी की थी। राजनीति में एमए और पीएचडी करने वाले शहाबुद्दीन ने हिना शहाब से शादी की थी। उनका एक बेटा और दो बेटी हैं। शहाबुद्दीन ने कॉलेज से ही अपराध और राजनीति की दुनिया में कदम रखा था। किसी फिल्मी किरदार से दिखने वाले मोहम्मद शहाबुद्दीन की कहानी भी फिल्मी सी लगती है। उन्होंने कुछ ही वर्षों में अपराध और राजनीति में काफी नाम कमाया।
सीवान में चलती थी शहाबुद्दीन की हुकूमत
2000 के दशक तक सीवान जिले में शहाबुद्दीन एक समानांतर सरकार चला रहे थे। उनकी एक अपनी अदालत थी। जहां लोगों के फैसले हुआ करते थे। वह खुद सीवान की जनता के पारिवारिक विवादों और भूमि विवादों का निपटारा करते थे। यहां तक के जिले के डॉक्टरों की परामर्श फीस भी वही तय किया करते थे। कई घरों के वैवाहिक विवाद भी वह अपने तरीके से निपटाते थे। वर्ष 2004 में लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कई जगह खास ऑपरेशन किए थे। जो मीडिया की सुर्खियां बन गए थे।