हरिद्वार– शनि और साईं दोनों भगवन नहीं हैं और महाराष्ट्र में शनि और सांई की पूजा होने के कारण ही अकाल की स्थिति पैदा हो गई और महिलाओं के शनि की पूजा करने से साथ बलात्कार की घटनाएं बढ़ जाएंगी। यह कहना है अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले शारदा और ज्योर्तिपीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का !
जिन्होंने शनि पर निशाना साधते हुए कहा कि शनि की पूजा नहीं होती। उन्होंने कहा कि उसके लिए ढकोट को तेल देने के बजाए जगह-जगह शनि के मंदिर बनाए जा रहे हैं और वहां पैसा चढ़ाया जा रहा है। शंकराचार्य ने कहा कि महिलाएं यदि शनि की पूजा करेंगी तो बलात्कार की घटनाएं बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं को सुरक्षिता करना है तो नशा को बंद करना चाहिए पर ऐसा न करने और शनि की पूजा करने से तो रेप की घटनाएं और बढ़ जाएंगी।
शंकराचार्य स्वरूपानंद ने कहा कि महाराष्ट्र में साईं की पूजा बंद कर केवल भगवान गणेश की पूजा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वहां पर लोग अपने इष्ट देवताओं को भूल उन्हें साईं के चरणों में स्थान दे रहे हैं जिस कारण वहां अनिष्ट हो रहा है।
ज्ञात हो कि महाराष्ट्र के अहमद नगर जिले के प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर मंदिर में शुक्रवार को महिलाओं को प्रवेश मिलने से जहां एक तरफ 400 साल पुरानी परंपरा टूटी ! ज्योतिष और द्वारिका पीठ के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती ने महिलाओं के पवित्र चबूतरे पर चढ़कर पूजा करने और तेल चढ़ाने की अनुमति मिलने का स्वागत तो किया, लेकिन चेताया भी कि महिलाओं को शनि के सामने नहीं पडऩा चाहिए, शनि की पूजा से अनिष्ट हो सकता है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए शनि की पूजा वर्जित है। दूसरी ओर जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी, गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या, दक्षिण काली पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी और योगगुरु बाबा रामदेव ने मंदिर प्रबंधन को इस फैसले के लिए साधुवाद किया।