मुंबई : महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच अब नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। अभी तक शरद पवार की पार्टी एनसीपी विपक्ष में बैठने की बात कर रही थी लेकिन अब एनसीपी के भी सुर बदलने लगे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता अजीत पवार ने स्वीकार किया है कि शिवसेना से बातचीत के लिए उन्हें फोन आया था।
अजीत पवार ने कहा ‘मुझे कुछ समय पहले संजय राउत का संदेश मिला, मैं एक बैठक में था इसलिए इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सका। चुनाव के बाद यह पहली बार है जब उन्होंने मुझसे संपर्क किया है, मुझे नहीं पता कि उन्होंने मुझे क्यों संदेश भेजा है। मैं थोड़ी देर में उन्हें फोन करूंगा।’
इससे पहले पार्टी के एक अन्य नेता नवाब मलिक ने कहा कि महाराष्ट्र में सीएम शिवसेना का हो सकता है, लेकिन इसके लिए शिवसेना को भूमिका साफ करनी होगी। रविवार सुबह शिवसेना के वरिष्ठ नेता और पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने साफ कहा कि भाजपा से बातचीत केवल मुख्यमंत्री पद को लेकर ही होगी।
Ajit Pawar, Nationalist Congress Party: I received a message from Sanjay Raut a while ago, I was in a meeting so couldn’t respond. This is the first time after elections that he has contacted me, I don’t know why he has messaged me. I will call him in a while. #Maharashtra pic.twitter.com/HAjKqBlsY3
— ANI (@ANI) November 3, 2019
राउत ने कहा कि उनकी पार्टी भाजपा से केवल मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर ही बातचीत करेगा। राउत ने पत्रकारों से कहा कि गतिरोध जारी है। सरकार गठन को लेकर अभी कोई बातचीत नहीं हुई है। अगर बातचीत होगी, तो केवल मुख्यमंत्री पद को लेकर ही होगी। संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी को 170 से ज्यादा विधायक समर्थन दे रहे हैं, और यह आंकड़ा 175 तक भी जा सकता है।
राउत ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि अमित शाह की ये चुप्पी बुरी है। उन्हें इस मामले पर बोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमित शाह को बात साफ करनी चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि किस प्रकार दोनों पार्टियां साथ मिलकर सरकार बना सकती है।
संजय राउत ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार की तारीफ करते हुए कहा कि शरद पवार महाराष्ट्र नहीं देश के नेता हैं। लोगों का मानना है कि शरद पवार महाराष्ट्र के नेता हैं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। वह पूरे देश के नेता है। उन्होंने इशारों-इशारों में कहा कि शरद पवार से बात करना गलत नहीं होगा।
इससे पहले, शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार के बयान को लेकर निशाना साधा। सामना में ‘महाराष्ट्र का अपमान, क्या राष्ट्रपति आपकी जेब में हैं?’ शीर्षक से लिखे लेख में मुनगंटीवार के बयान को अलोकतांत्रिक व असांविधानिक बताया गया। इसमें लिखा, मुनगंटीवार द्वारा दी गई धमकी से आम लोग क्या समझेंगे? इसका मतलब भारत के राष्ट्रपति आपकी (भाजपा की) जेब में हैं या राष्ट्रपति दफ्तर की मुहर भाजपा के दफ्तर में रखी हुई है? क्या ये लोग यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि महाराष्ट्र में सरकार नहीं बनने पर भाजपा राष्ट्रपति शासन थोप सकती है। गौरतलब है कि शुक्रवार को भाजपा नेता ने कहा था कि अगर सात नवंबर तक सरकार नहीं बनती है, तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है।
सामना के तीखे संपादकीय पर मुनगंटीवार ने कहा है कि गुर्राने वाले बाघ के साथ क्या करना चाहिए, मुझे पता है क्योंकि मैं राज्य का वनमंत्री हूं। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि मैंने हमेशा भाजपा-शिवसेना गठबंधंन को जोड़ने के प्रयास किए हैं। इस बार भी हर हाल में गुर्रा रहे बाघ को हमें साथ लेना ही है। चुनाव नतीजों को करीब दस दिन हो रहे हैं और सरकार नहीं बनी है, ऐसे में मैंने वही कहा जो कानून और संविधान के अनुसार है। इसमें गलत कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि जनादेश का सम्मान करना भाजपा और शिवसेना का कर्तव्य है। मंत्री पदों के बंटवारे पर बैठकर बातचीत हो सकती है। मुझे भरोसा है कि 6 या 7 नवंबर को महाराष्ट्र में नई सरकार शपथ लेगी।