मुंबई : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम के 13 दिन बाद भी राज्य में नई सरकार के गठन को लेकर असमंजस बरकरार है। भाजपा और शिवसेना में जहां सीएम पद को लेकर पेंच फंसा है, वहीं कांग्रेस-एनसीपी सावधानीपूर्वक अपनी चालें चल रहे हैं।
शिवसेना के नवनिर्वाचित विधायक पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिलने के लिए मातोश्री (शिवसेना मुख्यालय) पहुंचे हैं। सूत्रों के अनुसार, उद्धव एनसीपी-कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाने की संभावनाओं की लाभ-हानि पर विधायकों से चर्चा करना चाहते हैं। वहीं शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने आज फिर कहा कि महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा।
वहीं, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने साफ किया कि देवेंद्र फडणवीस ही महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री होंगे। उन्होंने कहा कि जिस पार्टी के ज्यादा विधायक होते हैं मुख्यमंत्री उसी का होता है। भाजपा के पास राज्य में 105 विधायक हैं। इसलिए यह साफ है कि मुख्यमंत्री भाजपा का ही होगा।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का महाराष्ट्र सरकार गठन से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने खुद के महाराष्ट्र की राजनीति में वापसी को लेकर चल रहे खबरों पर कहा कि वह केंद्र में ही बने रहेंगे। महाराष्ट्र वापस जाने का कोई सवाल ही नहीं है।
राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बीच अबतक कोई बातचीत नहीं हुई है। राउत ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना विधायकों के साथ बैठक से पूर्व संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी और विपक्षी कांग्रेस एवं एनसीपी के विधायक पाला नहीं बदलेंगे।
भारतीय जनता पार्टी के नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि भाजपा का अल्पमत सरकार बनाने की कोई योजना नहीं है।
Sudhir Mungantiwar,BJP on being asked if BJP will stake claim to form a minority government: As of now we have no such plan. #Maharashtra pic.twitter.com/EvpPOQtrbX
— ANI (@ANI) November 7, 2019
राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा कि भागवत और ठाकरे के बीच अभी तक कोई बातचीत नहीं हुई है। यह पूछे जाने पर कि राज्य में सरकार गठन को लेकर बने गतिरोध के बीच क्या उनके विचार पार्टी के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन्होंने कहा कि मैंने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के विचारों को सामने रखा। दोनों दलों के सूत्रों ने बुधवार को कहा था कि दोनों दलों के बीच पीछे के दरवाजे से बातचीत चल रही है और सफलता मिलने की उम्मीद है।
वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल और सुधीर मुनगंटीवार आज राज्यपाल से मुलाकात करेंगे। इस बीच सत्ता की एक चाबी अपने पास होने के बावजूद एनसीपी अपने पत्ते नहीं खोल रही है, जबकि कांग्रेस में आलाकमान के इनकार के बावजूद एक धड़ा चाहता है कि शिवसेना को समर्थन देकर उसकी सरकार बनवाई जाए।
कांग्रेस नेता हुसैन दलवाई ने बुधवार को शिवसेना भवन में जाकर संजय राउत से मुलाकात की और बाहर आकर मीडिया से कहा कि अब भाजपा की सरकार किसी भी हाल में नहीं बनेगी। भाजपा से कहीं बेहतर शिवसेना है और भाजपा तथा शिवसेना के हिंदुत्व में भी फर्क है।
एनसीपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी चाहती है कि शिवसेना के साथ किसी भी तरह के समझौते से पहले उद्धव ठाकरे केंद्र सरकार में अपने इकलौते मंत्री अरविंद सावंत का पहले इस्तीफा दिलवाएं। इससे पहले पार्टी ने मंगलवार को साफ कहा था कि राज्य में उसी स्थिति में कोई वैकल्पिक गठबंधन बन सकता है जब शिवसेना पहले भाजपा से अपना गठजोड़ तोड़ने का एलान करे।
आरपीआई (आर) प्रमुख रामदास आठवले ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने के अलावा शिवसेना के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। आखिर शिवसेना 56 विधायकों के साथ कैसे सरकार बनाएगी। यदि शिवसेना हमारे साथ नहीं आती है तो तब फडणवीस को राज्य में सरकार बनाने का खुद दावा पेश करना चाहिए।
संविधान विशेषज्ञ सुभाश कश्यप का कहना है कि नौ नवंबर तक नई सरकार न बनने पर राष्ट्रपति शासन लगे जरूरी नहीं। जब तक राज्यपाल को राष्ट्रपति शासन की जरूरत महसूस न हो, यह नहीं लग सकता।