मुंबई: शिवसेना सांसद संजय राउत मशहूर शायर फैज अहमद फैज के समर्थन में उतर आए हैं। उन्होंने रविवार को शिवसेना के मुखपत्र सामना में फैज पर एक स्पेशल कॉलम लिखकर बीजेपी पर निशाना साधा है।
उन्होंने कहा कि इन दिनों फैज के साथ वहीं हो रहा है, जो अंग्रेज़ों के ज़माने में वीर सावरकर के साथ हुआ था।
सामना में बीजेपी पर करारा हमला करते हुए संजय राउत ने लिखा है, ‘फैज अहमद पाकिस्तानी हुक्मरान के शत्रु सिद्ध हुए। अब हिंदुस्तान में भाजपा ने उन्हें ‘हिंदूद्रोही’ ठहराया है। फैज ने जीते जी पाकिस्तानी हुक्मरान के सिंहासन को झकझोर दिया था। फांसी पर लटकते-लटकते वे बच गए। हिंदुस्तान में उनकी कविताओं को सूली पर चढ़ाने का धंधा चल रहा है। ‘हम देखेंगे’ ऐसे फैज फिर भी गरजते रहे।’
शिवसेना के मुताबिक, लोगों ने फैज की गीत का अर्थ समझने की बजाय इस पर हिंदू विरोधी होने का मुहर लगा दी।
इसमें आगे लिखा गया है कि फैज का आज भारतीय जनता पार्टी के समर्थक विरोध कर रहे हैं, लेकिन इन्हीं फैज से मिलकर एक बार अटल बिहारी वाजपेयी के आंसू बहने लगे थे।
संजय राउत ने लिखा है, ‘ये किस्सा है 1977-78 का। देश में पहली बार जनता पार्टी की गैर कांग्रेसी सरकार आई थी। अटल बिहारी वाजपेयी उस सरकार में विदेश मंत्री थे। वे पाकिस्तान के अधिकृत दौरे पर गए थे।
अटल जी को यहां किससे और कब मिलना है इसका पूरा कार्यक्रम तैयार। वाजपेयी को भी इसका पालन करना चाहिए था, लेकिन वाजपेयी सुनने को तैयार नहीं थे।
उन्हें इस्लामाबाद में कुछ भी करके फैज से मिलना था, लेकिन वहां की सरकार और भारत दूतावास अनुमति नहीं दे रहा था। अंतत: प्रोटोकॉल के बंधन तोड़कर वाजपेयी फैज से मिलने उनके घर गए।
वाजपेयी व फैज की विचारधारा दो ध्रुवीय थी। फिर भी दोनों मिले। एक-दूसरे के गले लगे। अटल बिहारी ने फैज का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा, ‘मैं सिर्फ एक शेर सुनने के लिए आपसे मिलना चाहता था।’
फैज ने पूछा, ‘कौन-सा शेर?’ अटल जी ने वो शेर फैज को सुनाया।’ अपना शेर अटल जी के मुंह से सुनते ही फैज भावुक हो गए। उन्होंने वो पूरी गजल अटल जी को सुनाई।’