कर्नाटक में एचडी देवगौड़ा की जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) पार्टी और कांग्रेस गठबंधन की सरकार एक बार फिर से मुश्किल में आ गई है।
कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के 13 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। इससे राज्य में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार खतरे में पड़ गई है।
इस सियासी संकट का असर अब मध्य प्रदेश में भी देखने को मिल सकता है। प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कांग्रेस के कई विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं।
बीते शनिवार को हरियाणा के गुरुग्राम में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘कांग्रेस के कुछ विधायक हमारे संपर्क में हैं, लेकिन हम (विधायक) तोड़कर सरकार नहीं बनाएंगे।’
शिवराज के इस बयान के बाद से राजनीतिक गलियारों में कई मयाने निकाले जा रहे हैं।
आपको बता दें कि बीजेपी के कई नेता प्रदेश में कमलनाथ की सरकार बनने के बाद से दावा कर रहे हैं कि मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार 5 साल तक नहीं टिक पाएगी। खुद शिवराज सिंह कह चुके हैं कि इस सरकार का कोई भरोसा नहीं है।
हालांकि, शिवराज यह भी साफ कर चुके हैं कि बीजेपी को सरकार गिराने की जरूरत नहीं। कांग्रेसी खुद आपस में उलझे हुए हैं और वही सरकार गिरा देंगे।
मालूम हो कि मध्य प्रदेश में विधानसभा की 230 सीटें हैं। वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 109 सीटें मिली थीं तो कांग्रेस को 114 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। 2 सीटों पर बीएसपी, 1 सीट पर समाजवादी पार्टी और 4 निर्दलीय विधायक हैं।
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और निर्दलीय विधायकों के सहारे चल रही है।
गौरतलब हो कि लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस में पद छोड़ने का दौर जारी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सिंधिया को लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया था।