नई दिल्ली- भारत की अदालतों में 2 करोड़ 81 लाख केस पेंडिंग हैं, जबकि देश की निचली अदालतों में 5 हजार जजों की कमी है। ये बात सुप्रीम कोर्ट की दो रिपोर्ट्स में सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी रिपोर्ट्स में जजों की भारी कमी की बात कही है। सुप्रीम कोर्ट ने ‘इंडियन ज्यूडिशियरी एनुएल रिपोर्ट 2015-16’ और ‘सबॉर्डिनेट कोर्ट्स ऑफ इंडिया: ए रिपोर्ट ऑन एक्सेस टू जस्टिस 2016’ के नाम से दो रिपोर्ट्स जारी की हैं।
इन रिपोर्ट्स में साफतौर पर कहा गया है कि मुश्किल हालात से निपटने के लिए 3 सालों में 15 हजार जजों का अप्वाइंटमेंट करना होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, 1 जुलाई 2015-30 जून 2016 के बीच जिला कोर्ट्स में 2 करोड़ 81 लाख 25 हजार 66 सिविल और क्रिमिनल केस पेंडिंग थे। हालांकि, इसी दौरान एक करोड़ 89 लाख 4 हजार 222 मामले निपटाए भी गए।
रिपोर्ट्स बताती हैं, 4 हजार 954 जजों की पोस्ट खाली हैं। जबकि निचली अदालतों में 21 हजार 324 ज्यूडिशियल ऑफिसर्स की पोस्ट सेंक्शन हैं। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि जजों की मौजूदा संख्या बड़ी तादाद में केसों का निपटारा करने में नाकाफी है। इसके चलते पेंडिंग मामले बढ़ते जा रहे हैं जो चिंता का विषय है। ‘इसके लिए जरूरी होगा कि जजों के अलावा सपोर्ट स्टाफ बढ़ाया जाए और इन्फ्रास्ट्रक्चर को और बेहतर किया जाए।’
‘जजों की मौजूदा स्ट्रेन्थ केवल नए केसों का निपटाने करने में सक्षम है। ये ऐसे केस हैं जो हर साल फाइल हो रहे हैं।’ ‘लिहाजा ये जरूरी है कि आने वाले समय में केस दायर करने के पैटर्न और पेंडिंग केसों को निपटारे के तरीकों में बदलाव लाया जाए।’ नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की मानें तो डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के ज्यूडिशियल ऑफिसर्स एक साल में महज 13 फीसदी मामलों की सुनवाई कर पाते हैं।
इस लिहाज से ज्यूडिशियल ऑफिसर्स की स्ट्रेन्थ को 7 गुना तक बढ़ाए जाने की जरूरत है ताकि एक साल में केसों की सुनवाई तो पूरी की जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात, बिहार और उत्तर प्रदेश के जिला कोर्ट्स की हालत ज्यादा खराब है।
गुजरात में 794, बिहार में 792 और उत्तर प्रदेश में 624 जजों की कमी है। गुजरात में निचली अदालतों में 1953, बिहार में 1825 और उत्तर प्रदेश में 2394 जजों की पोस्ट्स सेंक्शन हैं। इसके उलट गुजरात के लोअर कोर्ट्स में 1159, बिहार में 1033 और यूपी में 1770 जज हैं।
दिल्ली में भी जजों की 793 पोस्ट्स सेंक्शन हैं जबकि 486 जज काम कर रहे हैं। 307 पोस्ट्स खाली हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में 58.8 लाख पेंडिंग केस हैं जिनमें 43.73 लाख क्रिमिनल केस हैं। [एजेंसी]