नई दिल्ली : सेना की जीप के आगे फारुख अहमद डार नाम के शख्स को बांध कर मानव ढाल के रुप में इस्तेमाल करने पर जम्मू-कश्मीर मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को मुआवजा देने का आदेश दिया है।
जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर उप-चुनाव के दौरान एक कश्मीरी नागरिक को सेना द्वारा मानव ढाल बनाए जाने पर राज्य मानवाधिकार आयोग ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। आयोग ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि जीप से बांधे गए फारुक अहमद डार को बतौर ‘हर्जाना’ 10 लाख रुपए की राशि दी जाए
गौरतलब है कि बीते महीने 9 अप्रैल, 2017 को जम्मू-कश्मीर में फारुख अहमद डार को सेना ने उपचुनाव के दौरान पत्थरबाजी करते हुए पकड़ा था। सेना के मेजर लितुल गोगोई के आदेश पर फारुख अहमद डार को जीप के बोनट पर बांधा गया था।
सेना के इस कदम की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना भी हुई थी। वहीं सेना ने मेजर नितिन गोगोई के इस कदम को सही ठहराते हुए उन्हें पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया था।
सोशल मीडिया पर इसकी आलोचना होने के बाद फैसले को सही ठहराते हुए सेना ने कहा था कि यह कदम बदतर होती स्थिति को रोकने के लिए उठाया गया था। इसके साथ ही सेना ने दलील दी थी कि सबसे बड़ी चुनौती वहां मौजूद हज़ारों लोगों को बचाने की थी जिसकी वजह से ये फैसला लिया गया।
फारुख अहमद डार ने बाद में भारतीय सेना के खिलाफ जम्मू-कश्मीर ह्यूमन राइट्स कमीशन में शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद कमीशन ने डार के पक्ष में फैसला सुनाया।
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर जारी कर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तीखी टिप्पणी की थी। स्थानीय लोगों के आक्रोश को देखते हुए सेना ने मेजर और सुरक्षा बलों के अन्य अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट आॅफ इंक्वॉयरी बिठाई थी।