यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस यानी यूपीआई के शुरू होने के बाद स्मार्टफ़ोन के ज़रिए किसी को भी पैसे देना थोड़ा और आसान हो गया है। सरकार चाहती है कि कैश का इस्तेमाल अब पूरी अर्थव्यवस्था में कम हो और उस दिशा में ये पहला बड़ा कदम होगा। 21 बैंक यूपीआई के सदस्य हैं और जैसे-जैसे लोगों में ये और पसंद किया जाएगा, और बैंक भी इसमें शामिल होंगे।
सभी बैंकों से जुड़े एक ही ऐप को अपने स्मार्टफोन पर डाउनलोड करके पैसे के लेन-देन को आपके लिए ये बहुत आसान कर देगा। चूंकि सिर्फ एक ही पहचान के साथ लोग इसका इस्तेमाल करके अपनी पेमेंट कर सकेंगे, दूसरे ऑनलाइन पेमेंट के तरीके से ये आसान होगा।
नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया ने यूपीआई लॉन्च किया है और चूंकि सरकार इसे बैंकों के लिए पेमेंट के प्लेटफार्म के रूप में देख रही है, सभी बैंक के जल्दी ही इसके हिस्सेदार होने की उम्मीद है। कुछ बैंक जो इसमें शामिल हैं वो हैं आंध्र बैंक, ऐक्सिस बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, भारतीय महिला बैंक, कैनरा बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ़ कॉमर्स, यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया और विजया बैंक।
इन बैंकों ने गूगल प्ले स्टोर पर अपना ऐप लॉन्च किया है जबकि एप्पल के लिए आईओएस वर्जन अभी कुछ महीने बाद रिलीज़ होगा। ऐप्पल स्मार्टफोन के लिए ये ऐप देर से निकलने से बाज़ार पर बहुत ज्यादा असर नहीं होगा क्योंकि भारत में 90 फीसदी से भी ज्यादा स्मार्ट फोन एंड्रॉएड पर काम करते हैं।
यूपीआई के आ जाने के बाद किसी भी स्मार्टफ़ोन इस्तेमाल करने वाले के लिए बैंकिंग और आसान होने की उम्मीद कर सकते हैं। डिजिटल पेमेंट की तरफ पूरे देश के लिए ये पहला बड़ा कदम होगा जिसमें देश का बहुत बड़ा हिस्सा – जिनके पास स्मार्टफोन है और मोबाइल इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं – शामिल हो सकता है।
अब तक कई मोबाइल वॉलेट से लोग डिजिटल पेमेंट कर सकते थे, लेकिन मोबाइल वॉलेट बड़े शहरों के बाहर बड़े रूप में नहीं पहुंच पा रहे थे। कुछ लोग कह रहे हैं कि यूपीआई के आने से किसी के भी पैसे को मानो एक ईमेल ऐड्रेस मिल जाएगा। बैंकों के पास आपके पैसे के एक अकाउंट से दूसरे में जाने पर जो डिजिटल जानकारी होगी उससे आपके पैसे को ट्रैक करना बहुत आसान होगा. इसीलिए अपने बैंक अकाउंट से किसी को यूपीआई के ऐप के ज़रिये पैसे देना बहुत ही सुरक्षित होगा।
ये पैसे आप किसी के भी अकाउंट में कभी भी जमा कर सकते हैं जिसका मतलब है बैंक अब आपके लिए चौबीस घंटे खुला रहेगा. तो डिजिटल पेमेंट अब आप बिना डेबिट कार्ड या मोबाइल वॉलेट के भी कर सकेंगे।
किसी को भी ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए बैंक के आईएफ़एससी कोड, अकाउंट नंबर, सेविंग या करंट अकाउंट जैसी जानकारी देनी पड़ती थी। ऑनलाइन पेमेंट के लिए डेबिट कार्ड की भी ज़रूरत होती है। लेकिन यूपीआई डेबिट कार्ड की ज़रूरत को ख़त्म करेगा. बस अपने बैंक की कुछ जानकारी किसी भी वेबसाइट पर देकर आप अपने लिए एक बिल तैयार करवा सकते हैं।
उसके बाद ये बिल को मान लेना या नकार देना आपके हाथ होगा। इसमें चंद मिनट ही लगेंगे. कुछ बैंकों ने अपने ऐप में यूपीआई के फीचर को शामिल कर लिया है और कुछ ने इसके लिए नया ऐप लॉन्च किया है।
जब भी इसे इस्तेमाल करेंगे आपके अकाउंट से जुड़ा एक वर्चुअल आईडी मिलेगा जो आपके पेमेंट के लिए काम आएगा. इसी वर्चुअल आईडी का इस्तेमाल करके अपनी ऑनलाइन शॉपिंग या पेमेंट कर सकते हैं। किसी भी एक खरीदारी के लिए एक लाख रुपए तक की पेमेंट यूपीआई के ज़रिए की जा सकेगी।
मोबाइल वॉलेट में पैसे डालना भी आसान हो जाएगा, जिससे उनके ज़रिए भी आप कुछ पेमेंट आसानी से कर सकते हैं। अगर 100-200 रुपए की भी कोई चीज़ ख़रीदनी है तो उसके लिए यूपीआई आने के बाद पेमेंट करना बहुत आसान हो जाएगा।
छोटी रकम की पेमेंट को माइक्रो पेमेंट कहते हैं और इससे छोटे दुकानदार के पास छुट्टे की समस्या का भी समाधान हो जाएगा। इ कॉमर्स के लिए ये बहुत बढ़िया कदम है क्योंकि जिन लोगों के लिए अलग अलग कारणों से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करना संभव नहीं था, अब वो भी ये कर सकेंगे।
कैश का इस्तेमाल कम होने से सरकार को टैक्स की चोरी के बारे में पहले से बेहतर जानकारी मिल पाएगी। सरकार अब कैश पेमेंट और बैंकों से निकालने के लिए सीमा तय करने वाली है जिससे भी डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिलेगा।
देश में स्मार्टफोन की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। आईडीसी के अनुसार भारत में साल 2015 में 10 करोड़ से भी ज़्यादा स्मार्टफोन बेचे गए। अब भारत स्मार्टफोन की बिक्री के लिहाज़ से चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है।
स्टैटिस्टा के अनुसार, भारत में 2013 में 7.6 स्मार्टफोन थे, जो अगले साल बढ़कर 12.3 करोड़ हो गए. 2015 में उनकी संख्या 16.8 करोड़ थी और इस साल के अंत तक ये संख्या 20 करोड़ के ज़्यादा होने की उम्मीद है। सस्ते होने स्मार्टफोन के कारण अब कहीं ज़्यादा लोग उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। आज़ादी के बाद करीब 60-65 सालों में भारत के आधे से कम लोगों के पास बैंकों में अकाउंट थे।
करीब 80,000 सरकारी बैंकों के ब्रांच और 1,54000 पोस्ट ऑफिस को 100 करोड़ लोगों तक पहुंचना आसान नहीं था। चूंकि बैंक लोगों तक नहीं पहुंच पा रहे थे, इसलिए अब स्मार्टफोन लेकर लोग बैंक के करीब पहुंच सकते हैं। [एजेंसी]