उज्जैन : मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में सिंहस्थ कुम्भ के पावन अवसर पर सिंहस्थ और मीडिया की भूमिका पर राष्ट्रीय परिचर्चा का आयोजन हुआ। इस दौरान आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत तिवारी ने कहा की यह बहुत ही महत्वपूर्ण है की इस महान पर्व के सिलसिले में मीडिया की भूमिका पर चर्चा की जा रही है। आज मीडिया में तेजी का युग है इस दौर में मीडिया को भी सम्हालने की भी जरुरत है क्योंकि हमारी भूमिका बढ़ी हुई है। वहीं, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि मीडिया वास्तव में देश का सचिव है। वही राज्य को सही सूचनायें देता है। मीडिया को निष्पक्ष होना चाहिए, चाटुकार नही वरना देश और समाज का नुकसान होता है। समाचारो में आलोचना भी सकारात्मक रूप में ही आए तो अच्छा हो।
आजकल कई ऐसे महात्मा भी आ गए है जो संत नहीं हैं, वे महज मीडिया को मैनेज कर के ही संत बन गए हैं। आज तक यदि किसी अखाड़े के संत पर कोई लांछन लगा हो तो मैं आज ही सन्यास छोड़ कर पेंट शर्ट पहन लूंगा। उन्होंने कहा कि बाबा और महात्मा बनाने का काम संतों का है। मगर आज मीडिया भी बाबा बनाने लगा है। रामदेव और आसाराम जैसों को मीडिया ने ही बनाया है। आजकल कथावाचक के नाम पर नौटंकीबाज सामने आने लगे हैं। मंहत ने इस दौरान कहा कि शाही स्नान के दौरान स्त्रियों और नाग साधुओं के फोटो लेने में सयंम बरतने की जरुरत है। इस दौरान महंत ने यूपी के सीएम अखिलेश यादव की तारीफ की। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने कुम्भ व्यवस्था की व्यवस्था बहुत अच्छे से की। उन्होंने कोई बजट ही नही दिया बल्कि खजाना ही खोल दिया था।
परिचर्चा का आयोजन आईएफडब्ल्यूजे और जर्नालिष्ट वेलफेयर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस परचर्चा में देश के 5 प्रदेशों के 100 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने शिरकत की। इस दौरान मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकारोंं ने सिंहस्थ की कवरेज के अपने अनुभव और वर्तमान बदलाव पर चर्चा की। आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक कृष्णमोहन झा ने परिचर्चा मेें कहा कि महाकाल की नगरी उज्जैन में इस शताब्दी के दूसरे महाकुंभ सिंहस्थ पर्व के शुभारंभ की शुभ घड़ी अब बिल्कुल नजदीक आ पहुंची है। पंचदशनाम जूना अखाड़े के पांच हजार से अधिक संतों के पंडाल (छावनी) में प्रवेश के साथ ही सिंहस्थ 2016 का शंखनांद गत दिवस हुआ तो हजारों की संख्या में उज्जैन नगरी के श्रद्धालु जन उसकी एक झलक पाने के लिए शहर की सडक़ों पर उतर आए।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानन्द गिरि के नेतृत्व में जब वैदिक मंत्रोच्चार के साथ नील गंगा तालाब पर पूजन किया तो जय महाकाल के घोष की ध्वनि से आकाश गुंजायमान हो उठा। उज्जैन नगरी में महाकुंभ की पहली पेशवाई का अप्रतिम उल्लास देखते ही बन रहा था। नगरवासियों ने नील गंगा से लेकर दानी गेट और छावनी तक साधु संतों के स्वागत वंदन और अभिनंदन के बड़ी संख्या में आकर्षक मंच और स्वागत द्वार बनाए थे। लगभग 200 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित छावनी (पंडाल) पांच सौ प्लाटों पर विशिष्ट साधु संतों के शिष्यों ने अपने भव्य नगरों का निर्माण किया है जिनकी छटा देखते ही बनती है। इन भव्य पंडालों में श्रद्धालुओं को बद्रीनाथ और अन्नपूर्णा मंदिर के प्रवेश द्वारों और लाल किले की अनुकृति के दर्शनों का सौभाग्य मिल सकेगा।
आस्था और ऐतिहासिक भव्यता और गरिमा प्रदान करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने पिछले कई माह पूर्व ही युद्ध स्तरीय तैयारियां प्रारंभ कर दी थी। इन तैयारियों में किसी भी स्तर पर रंचमात्र भी कमी न रह जाए इसलिए स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन तैयारियों की निगरानी अपने कंधों पर ओढ़ रखी थी। सिंहस्थ पर्व की औपचारिक शुुरुआत के पूर्व उन्होंने उज्जैन नगरी का बार बार दौरा किया है। उन्होंने कहा कि शताब्दी के इस दूसरे सिंहस्थ पर्व की सफलता सुनिश्चित करने एवं इसे ऐतिहासिक रूप से यादगार बनाने के लिए सरकार अपने स्तर पर हर संभव प्रयास कर रही है। जिन पर यहां पधारे विख्यात साधु संतों ने भी संतोष व्यक्त किया है। इस महापर्व से जुड़े ऐतिहासिक और पौराणिक सदर्भों से आम जनता को अवगत कराने का काम भी मीडिया करता है।
सिंहस्थ पर्व में देश के कोने कोने से नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालुओं का आगमन तय हो चुका है ऐसे में संपूर्ण उज्जैन नगरी में सुरक्षा इंतजामों की अचूक निगरानी की जिम्मेदारी केवल सरकार के कंधों पर नहीं छोड़ी जा सकती। मीडिया को भी इस कार्य में सरकार के कंधे से कंधा मिलाकर साथ देना चाहिए। ऐसे आयोजनों में अफवाहों की रोकथाम सबसे बड़ी समस्या होती है जो पलभर में अर्थ का अनर्थ कर सकती है। जबसे पत्रकारिता में इलेक्ट्रानिक मीडिया का प्रवेश हुआ है तबसे इस तरह के आयोजनों में मीडिया की जिम्मेदारी और बढ़ी है। किसी भी तरह की अनिष्टकारी अफवाहों का मीडिया संस्थान पलभर में खंडन करके धर्मप्रेमी जनता को सचेत कर सकते है।
ऐसे अविस्मरणीय और ऐतिहासिक आयोजनों में जो श्रद्धालु अपनी भागीदारी से वंचित रह जाते है उन्हें इस पर्व से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंगों के दर्शन लाभ सुनिश्चित कराने का काम मीडिया बखूबी करता है और सराहना का हकदार भी बनता है। जब पत्रकारिता में इलेक्ट्रानिक मीडिया का प्रवेश नहीं हुआ था तब यह कथन प्रचलित था कि समाचार पत्र समाज का दर्पण होते है। अब प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया मिलकर दर्पण की जिम्मेदारी निभा रहे है। किसी भी प्रसंग या घटना को सार्थक और सकारात्मक समीक्षा करने वाला मीडिया ही वास्तविक आर्थों में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहलाने का सच्चा हकदार बन सकता है।
इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद केन्द्रीय सिंहस्थ समिति के अध्यक्ष प्रदेश के पूर्व संगठन महामंत्री माखन सिंह ने भी देशभर से आए पत्रकारों को संबोधित किया। श्री सिंह ने कहा कि महाकाल की यह नगरी हमेशा से ही विख्यात रही है। काल गणना का मुख्य केन्द्र भी यही धरा है। प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा संगठन ने महाकाल बाबा की सेवा का जो सुअवसर प्रदान किया है यह मेरा सौभाग्य है। इस सिंहस्थ को ऐतिहासिक बनाने हमारी सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।
इस सिंहस्थ के माध्यम से हमने उज्जैनी नगर के सर्वागीन विकास का प्रयास किया है। संतों की बुनियादी सुविधााओं के साथ-साथ अब महाकाल की यह नगरी अपने सुन्दरता के लिए भी देशभर में जानी जाएगी। हमारे संपूर्ण प्रयासों में मीडिया की अहम भूमिका है, समय-समय पर हमारे स्थानीय मीडिया के साथी समस्याओं से अवगत कराते रहे है और प्रशासन ने तत्काल उन समस्याओं के समाधान का प्रयास किया है। मीडिया समाज का दर्पण है, इस सिंहस्थ जैसे संवेदनशील महौल में भी मीडिया की अहम भूमिका है क्योंकि ‘सिंहस्थ’ करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है ऐसे में हमें कई सावधानियां रखनी पड़ेगी। सिंहस्थ के पूर्व यह आयोजन सिंहस्थ की सफलता के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
इस परिचर्चा में मौजूद प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा ने कहा कि लगभग दो दशकों में मीडिया के स्वरूपों में काफी बदलाव आया है। 1992 में केवल प्रिंट मीडिया था। 2004 में प्रिंट मीडिया के साथ-साथ इलेक्ट्रानिक मीडिया का प्रवेश हुआ, लेकिन उस समय गिने चुने 8-10 चैनल थे मगर आज संपूर्ण प्रदेश में हजार से भी अधिक चैनल है। वेब मीडिया की संख्या भी बढ़ गई है। इसके साथ ही सोशल मीडिया की व्यापकता से अब सेकेंड में सूचना विश्व के कोने-कोने तक पहुंच जाती है। आज भी मीडिया की नीव प्रेस एक्ट पर निर्भर है।
प्रेस एक्ट में भी 1979 के बाद कोई संसोधन नहीं हुआ। प्रेस परिषद अब संपूर्ण मीडिया में नियंत्रण करने में पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पा रहा है। लम्बे समय से पत्रकार संगठन नए प्रेस कानून के साथ-साथ मीडिया आयोग की मांग कर रहे, लेकिन आज तक सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की है। ऐसी स्थिति में हमें स्वयं अपनी आचार संहिता बनानी पड़ेगी। हमें स्वयं नियंत्रण की आवश्यकता है। सिंहस्थ जैसे संवेदशील आयोजन में हमें यह देखना होगा कि जो खबर हम दिखा रहे है उसका प्रभाव और दुष्प्रभाव समाज में कितना पड़ेगा।
इस आयोजन में सिंहस्थ में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पदाधिकारियों का सम्मान भी किया गया। जनसंपर्क के अपर संचालक देवेन्द्र जोशी को मीडिया और प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय के लिए महंत नरेन्द्र जी गिरी के हाथों सम्मानित किया गया।
इस परिचर्चा में उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और बिजनेश स्टेडर्ड के ब्यूरो प्रमुख सिद्धार्थ कलहंस, उत्कर्स सिन्हा, भास्कर दुबे, टीपी सिंह, राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार सत्या पारिख, अशोक भटनागर, छत्तीसगढ़ के संजय दुबे और अर्जुन झा, झारखंड के संतोष पाठक ने भी अपने विचार रखे।
परिचर्चा के दूसरे सत्र में सिंहस्थ सुरक्षा और मीडिया विषय पर भी चर्चा हुई जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में माध्यम के ओएसडी पीपी सिंह ने कहा कि सिंहस्थ की सफलता के लिए बुनियादी सुविधाओं के साथ साथ सुरक्षा की भी आवश्यकता है। मध्यप्रदेश सरकार ने सिंहस्थ में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए है। मीडिया को भी सुरक्षा में गंभीरता बरतने की आवश्यकता है।
सुरक्षा से जुड़े मामलों पर मीडिया को खबर प्रसारित करने के पहले तथ्यों के साथ-साथ इस बात का ध्यान रखना होगा कि कही हमारे खबरें आतंकी संगठनों की श्रोत तो नहीं बन रही है। पुलिस महानिदेशक सुरेन्द्र सिंह के प्रतिनिधि के रूप में मौजूद श्री खन्ना ने भी पत्रकारों को सरकार द्वारा सिंहस्थ की सुरक्षा के लिए अब तक किए गए कार्यों से अवगत कराया। इतना ही नहीं सिंहस्थ के दौरान उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं को असुविधा से बचने के आवश्यक उपायों के बारे में भी जानकारी दी।
स्पंदन सामाजिक एवं शोध संस्थान के संयोजक एवं वरिष्ठ पत्रकार अनिल सौमित्र ने मंच का कुशल संचालन किया। श्री सौमित्र ने सिंहस्थ और मीडिया विषय पर भी अपने विचार रखे। भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार अवधेश भार्गव ने कहा कि शासन ने क्षिप्रा का जलस्तर बढ़ाने इसमें नर्मदा को जोड़ा है। निश्चित रूप से जलस्तर में बढ़ोत्तरी तो हुई है, लेकिन साधू खासतौर पर नागा इस बात से खासे नाराज है। प्रशासन प्रचार-प्रसार पर तो काफी खर्च कर रहा है लेकिन उसका इस बात पर ध्यान नहीं गया कि श्रद्धालुओं को स्नान के दौरान कौन-कौन सी सावधानी बरतने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के दूसरे दिन देशभर से आए पत्रकारों ने उज्जैन भ्रमण कर सिंहस्थ की तैयारियों का जायजा लिया। रिपोर्ट @ कृष्ण्मोहन झा