भोपाल- रविवार रात को भोपाल जेल से 8 आतंकी फरार हो गए थे, जिन्हें एएनआई न्यूज के अनुसार पुलिस ने मार गिराया है। इनका एनकाउंटर भोपाल के बाहरी हिस्से में स्थित इंतखेड़ी गांव में किया गया है। इन्होंने भागने से पहले एक हेड कॉन्स्टेबल की हत्या भी कर दी थी। यह आठों आतंकी प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) संगठन के थे। इन आतंकियों ने रात करीब 2 बजे हेड कॉन्स्टेबल रामा शंकर की हत्या की। हत्या के लिए आतंकियों ने चाकू का सहारा लिया और उससे रामा शंकर का गला काट दिया।
बताया जा रहा है कि खुफिया इनपुट्स में राजधानी के गुनगा थाना क्षेत्र के अचारपुरा में आतंकियों के लोकेशन के बारे में जानकारी मिली थी. इसी सूचना के आधार पर पुलिस के स्पेशल कमांडो ने आतंकियों की घेराबंदी कर दी थी |
सिमी के 8 आतंकी अचारपुरा क्षेत्र के पास मनीखेड़ा में घेर लिए गए। इस दौरान हुई मुठभेड़ में सभी 8 आतंकी ढेर कर दिए गए, जबकि एक अभी भी फरार बताया जा रहा है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक आतंकियों के भागने के बाद राजधानी और आसपास के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई थी। सूत्रों से जब पुलिस को सूचना मिली तो पूरा पुलिस अमला अचारपुरा के पास मनीखेड़ा पहुंच गया और मौके पर ही 8 आतंकी घेर लिए गए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, तड़के साढ़े तीन बजे जेल के बी ब्लॉक में बंद सिमी के आठ आतंकियों ने बैरक तोड़ने के बाद हेड कांस्टेबल रमाशंकर की हत्या कर दी। इसके बाद जेल में ओढ़ने के काम आने वाली चादर की मदद से आतंकी दीवार फांदकर फरार हो गए थे । फरार होने वाले आतंकियों में शेख मुजीब, माजिद खालिद, अकील खिलजी, जाकिर, महबूब और अमजद शामिल थे । भोपाल की सेंट्रल जेल से फरार हुए सिमी के आठ आतंकियों का सुराग देने पर 5-5 लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया था ।
चादरों के सहारे भागे थे
हेड कॉन्स्टेबल की हत्या के बाद आतंकियों ने चादरों को आपस में जोड़कर जेल की चारदीवारी फांद ली। अपनी इस योजना का अंजाम देने के लिए आतंकियों ने दिवाली की रात चुनी। आतंकियों ने दिवाली की रात को इसलिए चुना क्योंकि इस रात में लोग दिवाली उत्सव के चलते पटाखे बजा रहे थे और पटाखों के शोर में उनके भागने की आहट किसी को सुनाई न दे।
पहले भी भाग चुके हैं आतंकी
यह दूसरी बार है कि मध्य प्रदेश में ऐसी घटना हुई है। इससे पहले भी एक बार सिमी के 10 आतंकी भोपाल जेल से फरार हो गए थे। इनमें से 5 को तुरंत ही गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन बाकी के 5 आतंकी भागने में सफल रहे थे। स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया या सिमी एक प्रतिबंधित संगठन है, जिसकी शुरुआत 1977 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुई थी।
4 जेल अधिकारी सस्पेंड
इस मामले पर देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान से एक रिपोर्ट मांगी है। वहीं भोपाल सेन्ट्रल जेल के डायरेक्टर जनरल संजय चौधरी ने बताया कि सुरक्षा में हुई खामियों की छानबीन की जा रही है और जेल के अन्य कैदियों की सुरक्षा भी कड़ी कर दी गई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में 4 जेल अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि जेल के एडीजी को पहले ही हटा दिया गया है और डीआईजी को भी सस्पेंड किया जा रहा है।
भोपाल जेल से भागे आठ सिमी आतंकियों में से पांच खण्डवा जिले के निवासी थे ।
1 – अकील पिता युशुफ खिलजी
2 – जाकिर पिता बदरुल हुसैन
3 – मेहबूब पिता शेख इस्माइल
4 – अमजद पिता सलमान
5 – मो सादिक पिता मो हकीम
बिजनौर ब्लास्ट में घायल हो गया था मेहबूब
खंडवा का रहने वाला मेहबूब बिजनौर में हुए धमाके में घायल हो गया था। तब जाकिर और अमजद उसका इलाज करवा रहे थे। यह बात जब मेहबूब की मां को पता लगी तो वह खंडवा से अपने बेटे का इलाज कराने के लिए उसके पास चली गई थी। इसके वह भी अपने बेटे के साथ पकड़ा गई। जानकारी के मुताबिक मेहबूब की मां भी भोपाल सेंट्रल जेल में बंद है।
खण्डवा जेल से सिमी के 6 आतंकी 30 सितंबर 2013 को फरार हुए थे
1. डॉ अबू फैज़ल पिता इमरान (26वर्ष) जुहू, अंधेरी वेस्ट, मुंबई
2. एजाजुद्दीन पिता अजीजुद्दीन (28 वर्ष) निवासी करेली जिला नरसिंहपुर
3. अमजद पिता रमज़ान (22 वर्ष) निवासी खंडवा
4. असलम पिता अय्यूब (23 वर्ष) निवासी खंडवा
5. जाकिर पिता बदउल हुसैन(28 वर्ष) निवासी खंडवा
6. महबूब गुड्डू पिता इस्माईल (24 वर्ष) निवासी खंडवा
ये सभी 21 अगस्त 2013 से खंडवा जिला जेल में थे। सिमी के इन विचाराधीन कैदियों पर खंडवा में एटीएस जवान सहित दो नागरिकों की दिनदहाड़े हत्या, रतलाम में भी एटीएस जवान की हत्या, देशद्रोह, बैंक डकैती, लूट जैसे संगीन मामलों के आरोप हैं। इन पर भारतीय दंड विधान की धारा 302, विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम(राष्ट्रद्रोह) की धारा 3,10,13,18,20 , आर्म्स एक्ट के भी आरोप है जो खंडवा सहित प्रदेश की विभिन्न अदालतों में विचाराधीन है।
जिला जेल में सिमी और इंडियन मुजाहिदीन के 9 सदस्य बंदी थे, जिनमें से 6 फरार हो गए जबकि अन्य प्रकरणों में गिरफ्तार तीन बंदियों को सेंट्रल जेल इंदौर और भोपाल में स्थानांतरित किया गया था। इनमें सिमी का अकील खिलजी (42वर्ष), अब्दुल रकीब (27वर्ष) तथा अब्दुल्ला उर्फ अलताफ (19वर्ष) शामिल है। इन सभी पर धार्मिक उन्माद भड़काने, राष्ट्रद्रोह, विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज है। इनमें अकील खिलजी एक मामले में जहां तीन वर्ष की सजा काट रहा है तो दूसरे मामलों में वह विचाराधीन (अन्डरट्रायल) है।
खंडवा में हुआ था जेल ब्रेक काण्ड
बताया जा रहा है कि इसमें से कुछ आतंकी वे भी हैं जो 2013 में खंडवा जेल से भागे थे। उन्हें पकड़ कर यहां लाया गया था। सभी आतंकियों को भोपाल जेल में रखा गया था। 2 अक्टूबर 2013 से सात कैदी भागे थे। इसके बाद मध्य प्रदेश में जितने भी सिमी के आतंकी अन्य जेलों में थे उन्हें सबको एक जगह लाया गया। सभी को कड़ी सिक्युरिटी वाले भोपाल सेंट्रल जेल में रखा गया। यहां सिमी के 30 आतंकी रखे गए। इन्हीं में से 8 आतंकी भागे हैं।
यह सिमी आतंकी भागे थे खंडवा जेल से
अक्टूबर 2013 में खंडवा जेल से सिमी के छह आतंकी अबू फैजल खान, एजाजुद्दीन अजीजुद्दीन, असलम अय्यूब, अमजद, जाकिर, शेख महबूब और आबिद मिर्जा फरार हो गए थे। आबिद को कुछ ही देर बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। अबू फैजल, इरफान नागौरी और खालिद अहमद को एटीएस ने 25 दिसंबर 2013 को सेंधवा पठार के पास से मुठभेड़ के दौरान के गिरफ्तार किया था। [एजेंसी]
यह हैं खुंखार आतंकवादी
खालिद, मजीद, शेख मुजीब,अकील खिलजी, जाकिर, महबूब, अमजद और सलिक। इनमें से खंडवा जेल से सिमी के छह आतंकी अबू फैजल खान, एजाजुद्दीन अजीजुद्दीन, असलम अय्यूब, अमजद, जाकिर, शेख महबूब और आबिद मिर्जा फरार हो गए थे। आबिद को थोड़ी देर बाद ही गिरफ्तार कर लिया था। खंडवा में ये आतंकी जेल के बाथरूम की दीवार फांदकर भागे थे।
जेल तोड़ने में माहिर रहा है ये आतंकी
डॉक्टर उर्फ़ अबू फैजल भोपाल सेंट्रल जेल से भागने की घटना का मास्टर माइंड है। अबू फैजल जेल ब्रेक करने में माहिर है, वाही स्लीपर सेल बनाने का काम करता था। डेढ़ साल पहले तिहाड़ जेल से भोपाल जेल शिफ्ट किया गया था। मुंबई का रहने वाला है अबू फैजल। आंध्राप्रदेश, कर्नाटक, एमपी, महाराष्ट्र में स्लीपर सेल का प्रमुख है फैजल।
इन आतंकियों के मददगार कौन हैं?
राजनीति से अलग सुरक्षा के हिसाब से सवाल पैदा हो रहा है कि भोपाल पुलिस ने इन सभी आतंकियों के जवाबी फायरिंग में मारे जाने का दावा किया है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इन आतंकियों के मददगार कौन हैं? हालांकि पुलिस के इन दावों पर सवाल भी उठ रहे हैं। भोपाल के आईजी योगेश चौधरी ने बताया कि गांववालों के जरिए उन्हें एक इनपुट मिला था, जिसके बाद जिला पुलिस, सीटीसी और एसटीएफ की टीमों ने अपना ऑपरेशन शुरू कर दिया था।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने अचारपुरा इलाके के मणिखेड़ा इलाके के पठारी इलाके में इन आतंकियों को ट्रेस किया। ये आतंकी रात के अंधेरे में जंगलों को पार करते हुए यहां तक पहुंचे थे। पुलिस टीम को देखकर ये भागने लगे और फिर इन्होंने जवाबी फायरिंग शुरू कर दी।
जेल से निकलते ही आतंकियों को कहां से मिले हथियार?
पुलिस के दावों पर यकीन किया जाए तो इन आतंकियों के पास हथियार और स्पोर्ट्स शूज थे। यही नहीं इन आतंकियों ने हाइटेक जीपीएस वॉच भी पहनी हुई थी। उनके पास खाने पीने का सामान भी था। आतंकियों के मददगार स्लीपर सेल को लेकर खुफिया एजेंसियों के भी कान खड़े हो गए हैं। बता दें कि जेल से भागने के चंद घंटों के भीतर ही आतंकियों ने ये चीजें हासिल कर दी थीं।