नई दिल्ली: वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या की जांच कर रही एसआईटी ने संदिग्ध हत्यारों के स्कैच जारी कर दिए हैं। पुलिस ने इसके साथ ही लोगों से मदद भी मांगी है कि संदिग्ध आरोपियों की पहचान में मदद करे।
शनिवार को हत्याकांड की जांच कर रही एसआईटी के अधिकारी बीके सिंह ने मीडिया को बताया कि जो जानकारी प्राप्त हुई है उस आधार पर यह स्कैच बनाए गए हैं। सिंह ने कहा कि हम स्कैच जारी कर रहे हैं और लोगों से सहयोगी की अपेक्षा रखते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि दो संदिग्ध हैं, जारी हुए स्कैच मिलते-जुलते हैं क्योंकि इन्हें आर्टिस्टों ने प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही के आधार पर बनाया है। टीम के पास संदिग्धों द्वारा की गई रेकी का वीडियो भी है जो जारी किया गया है।
सिंह ने आगे कहा कि केस में संदिग्धों के तिलक और कुंडल से उनके धर्म की पहचान नहीं की जा सकती क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि वो उसी धर्म के हों। इससे जांच भी भटक सकती है। हमने अब तक 200-250 लोगों से पूछताछ की है।
संदिग्धों के धर्म की पुष्टि नहीं
गौरी लंकेश साप्ताहिक मैग्जीन ‘लंकेश पत्रिके’ की संपादक थीं। इसके साथ ही वो अखबारों में कॉलम भी लिखती थीं। दक्षिणपंथी विचारधाराओं के विरोध में लिखने के लिए जानी-जाती थीं। गौरी की हत्या के बाद से ही पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है लेकिन अभी अपराधी का पता नहीं लग पाया है। एसआईटी ने अभी संदिग्धों के धर्म के बारे में भी पुष्टि नहीं की है। इस बारे में बीके सिंह का कहना है कि तिलक लगाए और बाली पहनने के आधार पर संदिग्धों के धर्म की पुष्टि नहीं की जा सकती क्योंकि ये मिसलीड करने के लिए भी किया जा सकता है।
सनातन संस्था के शामिल होने की बात सिर्फ मीडिया में
एसआईटी प्रमुख ने कहा कि इस मामले से जुड़े करीब 200 से 250 लोगों को खोजा है। एसआईटी ने यह भी साफ किया कि एमएम कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या में इस्तेमाल हुए हथियार के एक होने के सबूत नहीं है। वहीं दक्षिणपंथी संगठन सनातन संस्था का नाम मामले में आने पर पुलिस ने कहा कि यह जानकारी केवल मीडिया में ही है हमारी तरफ से इस केस में अभी किसी संस्था के लिप्त होने की खबर नहीं है।
सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी
इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने गौरी लंकेश मामले में गुरुवार को कहा था कि सभी विपक्षी और उदारवादी मूल्यों का सफाया एक खतरनाक प्रवृत्ति है और इससे देश की छवि खराब हो रही है। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी