टीवी और अखबारों में आजकल ‘एक देश एक कर’ नाम का लोकलुभावन विज्ञापन दिखता है। यह विज्ञापन गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के बारे में है। 1 जुलाई, 2017 से लागू होने जा रही जीएसटी पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो लेकिन छोटे कारोबारी इससे बेचैन हैं।
उनके परेशान होने की वजह पहले से भी ज्यादा कागजी और कानूनी फॉरमलिटीज हैं। दरअसल, जीएसटी लागू होने के बाद अब छोटे कारोबारियों को 37 टैक्स रिटर्न्स भरने होंगे। इससे पहले उन्हें सिर्फ 13 टैक्स रिटर्न भरने पड़ते थे। ‘इंडिया स्पेंड’ वेबसाइट के मुताबिक जीएसटी लागू होने के बाद एक राज्य में कारोबार करने वाली किसी भी छोटी मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी को भी 13 की बजाय 37 टैक्स रिटर्न्स दाखिल करने होंगे।
जीएसटी लागू होने में अब एक महीने से भी कम समय रह गया है। बावजूद इसके फिनान्शियल प्रोफेशनल्स, बैंकर्स और इंडस्ट्री के लोग अभी भी उसके लिए पूर्ण रूप से तैयार नहीं हो सके हैं। यह अलग बात है कि जीएसटी लागू करने की चर्चा देश में आज से 13 साल पहले शुरू हुई थी।
इन्स्टीच्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेन्ट्स ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष के रघु ने इंडिया स्पेंड से कहा, “जीएसटी को लागू करने और उसे आत्मसात करने के लिए पूरे इकोनॉमिक इकोसिस्टम को बदलना पड़ेगा।” उन्होंने कहा कि वैसे इसके लागू होने की आदर्श तारीख 1 सितंबर होनी चाहिए।
उधर, 237 बैंकों के संगठन इंडियन बैंक एसोसिएशन ने संसदीय पैनल को सूचित किया है कि उसके सदस्य बैंक अभी भी नए अप्रत्यक्ष कर यानी जीएसटी को लागू करने के लिए तैयार नहीं हो सके हैं। नियमानुसार अब सभी तरह के फॉर्म और टैक्स ऑनलाइन भरे जाएंगे। इसके लिए सभी विभागों समेत सभी कारोबारियों को समय-समय पर पूरे सिस्टम को अपडेट करना पड़ेगा।
इकॉनोमिक टाइम्स के मुताबिक कारोबारियों को हर महीने तीन तरह के रिटर्न दाखिल करने होंगे। इसके अलावा एक रिटर्न वार्षिक तौर पर दाखिल करना होगा। अगर किसी कारोबारी का कारोबार एक से ज्यादा राज्य में है तो उसे और ज्यादा रिटर्न्स दाखिल करने होंगे। माना जा रहा है कि अगर किसी कारोबारी का धंधा तीन राज्यों में है तो उसे साल भर में कुल 111 टैक्स रिटर्न भरने होंगे। लिहाजा, साफ है कि इससे सभी कारोबारियों पर सीए जैसे प्रोफेशनल्स की सेवा लेना अनिवार्य हो जाएगा। इससे उनका खर्च भी बढ़ेगा।
सरकार ने पहले ही जीएसटी में चार तरह के टैक्स 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी निर्धारित किए हैं। इसे लागू करने के लिए हरेक कारोबारी को न केवल सिस्टम अपडेट रखना होगा बल्कि उसे मैन पॉवर को भी समुचित प्रशिक्षण देना होगा। सभी तरह के कारोबार का ऑनलाइन रिकॉर्ड भी रखना होगा। बता दें कि केंद्र सरकार की जीएसटी की प्रस्तावित दरों को लेकर कई व्यापारियों ने नाराजगी शुरू कर दी है। देशभर में मार्बल (पत्थर) का धंधा करने वाले अपने व्यापार पर जीएसटी की दरों को बढ़ाने को लेकर काफी नाराज हैं। केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव के विरोध में उन्होंने अपने काम धंधे बंद कर दिए हैं।
जीएसटी को आजादी के बाद का सबसे बड़ा कराधान सुधार माना जा रहा है। केंद्रीय उत्पाद, सेवा कर, वैट और अन्य स्थानीय शुल्क इसमें समाहित हो जाएंगे। माना जा रहा है कि इस नए अप्रत्यक्ष बिक्री कर से जीडीपी की वृद्धि दर में दो प्रतिशत का इजाफा होगा और इससे कर चोरी पर अंकुश लगेगा।