खंडवा [ TNN ] लम्बे समय बाद किशोर कुमार के बेटे सुमित कुमार खंडवा अपने पिता की समाधी और पैतृक माकन पर पहुंचे तो शहर में किशोर कुमार के मकान को बेचे जाने की खबर फैल गई । खंडवा पहुंचे किशोर कुमार के बेटे के साथ खंडवा के कुछ दलाल भी देखे गए । हलाकि सुमित कुमार ने किशोर के पैतृक माकन को बेचे जाने की बात से इंकार किया ।
गायक ,हरफन मौला कलाकार किशोर कुमार की जन्म स्थली खंडवा में बना उनका पैत्रक मकान ,बिकने की कगार पर पहुँच चुका है , किशोर कुमार के पुत्र सुमित कुमार , और अनूप कुमार के पुत्र अर्जुन कुमार , अपने लीगल एडवाइजर के साथ खंडवा पहुंचे। यहां उन्होंने प्रॉपर्टी ब्रोकर से चर्चा की और उनके साथ अपनी सम्पति का जायजा लिया। किशोर कुमार के पैतृक मकान को स्मारक बनाने की मांग पिछले लम्बे समय से उठती रही है . खंडवा की कलाप्रेमी संस्थाओं की प्रशासन से बार -बार मांग की , की किशोर कुमार की यादों को सहेजा जाए, राज्य सरकार बंगले को खरीदकर उसे धरोहर मानते हुए , स्मारक के रूप में विकसित करे .इसके लिए कलाप्रेमियों ने पोस्टकार्ड अभियान चलाकर राज्य के संस्क्रती मंत्री को पत्र भी लिखे .लेकिन प्रशासन अब तक संजीदा नहीं हुआ, आज किशोर कुमार के पैतृक भवन बिकने की कगार पर पहुँच चुका है , जिससे किशोर प्रेमियों में निराशा का माहौल है। हालांकि किशोर कुमार के पुत्र सुमित कुमार ने किशोर के पैत्रक मकान को बेचे जाने की बात से इंकार किया ।
खंडवा के बॉम्बे बाजार स्थित “गांगुली हाउस ” ने फिल्म इंडस्ट्री को एक एसा कलाकार दिया , जिसे उनके चाहने वाले किशोर कुमार के नाम से जानते है . किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को खंडवा में हुआ , जिस मकान में किशोर कुमार का जन्म हुआ . वह मकान जर्जर होकर गिरने की कगार पर है , किशोर प्रेमियों को छोड़कर किसी की इसमें दिलचस्पी नहीं है .पारिवारिक सम्पत्ति के बटवारे में यह सम्पत्ति किशोर कुमार के छोटे भाई अनूपकुमार को मिली . जिसमे लीना चंदावरकर और अमित कुमार भी हिस्सेदार थे . लेकिन स्व.किशोर कुमार की इच्छा अनुरूप लीना चंदावरकर और अमित कुमार ने अपना हिस्सा अनूप कुमार के नाम कर दिया . अनूप कुमार के स्वर्गवासी होने के बाद इस सम्पत्ति पर अनूपकुमार के पुत्र अर्जुन का मालिकी हक़ है .जो इसे सिर्फ प्रापर्टी मानते है. यही वजह रही की किशोर कुमार के पुत्र सुमित कुमार , और अनूप कुमार के पुत्र अर्जुन कुमार , अपने लीगल एडवाइजर के साथ , इस सम्पत्ति को बेचने सिलसिले में खंडवा पहुंचे। जब उनसे प्रापर्टी बेचे जाने के सिलसिले में मीडिया ने बात की तो वे यही कहते रहे की वे तो सिर्फ अपना मकान देखने खंडवा आये है। मकान बेचे जाने की बात को उन्होंने अफवाह करार दिया
किशोर कुमार के पैतृक मकान को स्मारक बनाने की मांग पिछले लम्बे समय से उठती रही है . खंडवा की कलाप्रेमी संस्थाओं की प्रशासन से बार -बार मांग की , की किशोर कुमार की यादों को सहेजा जाए, राज्य सरकार बंगले को खरीदकर उसे धरोहर मानते हुए , स्मारक के रूप में विकसित करे .इसके लिए कलाप्रेमियों ने पोस्टकार्ड अभियान चलाकर राज्य के संस्क्रती मंत्री को पत्र भी लिखे .लेकिन प्रशासन संजीदा नहीं हुआ, सम्पत्ति के मालिक अनूप कुमार के पुत्र अर्जुन कुमार ने कहा की प्रदेश सरकार की तरफ से उनके किसी भी प्रतिनिधि ने , इस सिलसिले में उनसे कोई बात नहीं की।
किशोर कुमार के सबसे छोटे भाई अनूप कुमार के पुत्र अर्जुन कुमार ने सम्पत्ति बेचे जाने की बात को भले ही नकार दिया। लेकिन उनके किरायेदारों की माने तो मात्र अड़तालीस घंटे पहले मोहन विधानी , बाबा भाई सहित दो अन्य किरायेदारों ने मुंबई में अर्जुन कुमार से मुलाकात की थी। उन्हें अर्जुन कुमार ने इस बात का आश्वासन दिया की पिछले अस्सी वर्षों से उनके घर के बाहर जो ग्यारह किरायेदारों को दूकान किराए पर दी गई है , मकान बेचे जाने पर उनका ध्यान रखा जाएगा।
किशोर कुमार के पैतृक मकान के परिसर में निर्मित ग्यारह दूकान के कुछ किरायेदारों के पास किरायेदारी से संबंधित वैध दस्तावेज है , बाबा भाई का साफ़ कहना है की अगर, उन्हें अपनी दूकान के स्थान पर दूकान या उचित मुआवजा नहीं मिलता है , तो वे न्याय पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे , वे किसी भी हद तक जा सकते है।
खंडवा का गांगुली हाउस , जिसके आंगन में नन्हे किशोर कुमार की किलकारियां गूंजा करती थी , इस मकान के हर हिस्से में किशोरकुमार की यादे बसी हुई है . लेकिन उचित देख-रेख के अभाव में किशोर कुमार का घर अब खंडहर में तब्दील हो गया . इसकी देखभाल करने वाले चौकीदार सीताराम , प्रापर्टी बेचे जाने की बात सामने आने से परेशान हो उठे , उन्हें इस बात की चिंता सताने लगी की , अब उनका क्या होगा ?
फिल्म इंडस्ट्री में काम करने के लिए माया नगरी मुंबई जा बसे किशोर कुमारको खंडवा में सुकून मिलता था ,वे अक्सर खंडवा आकर “गांगुली हाउस ” में रहते .उन्हें अपनी जन्म स्थली खंडवा से इतना लगाव था की वे जहाँ भी जाते अपना परिचय किशोर कुमारखंडवे वाला के नाम से देते . जिस मकान में किशोर कुमार के गीत आबाद रहते थे , उनके परिजनों के आने से गांगुली हाउस का सन्नाटा तो , कुछ समय के लिए ही सही दूर हुआ , लेकिन किशोर प्रेमियों को यह भय सताने लगा की कही गांगुली हाउस को मात्र सम्पत्ति मानकर , इसका सौदा कर दिया जाता है , तो उनका यह कदम किशोर के चाहने वालो का दिल को तोड़ कर रख देगा।
किशोर प्रेमी सुनील सकरगाय ने बताया किशोर के माकन को बेचे जाने की खबर पर खंडवा के लोगो और किशोर प्रेमियों में निराशा का माहोल है । किशोर प्रेमी चाहते है की किशोर के पैतृक माकन को किसी निजी हाथो में जाये उसे स्मारक के रूप में संजो कर रखा जाए क्युकी किशोर का घर एक अमूल्य धरोहर है ।
रिपोर्ट – अनंत माहेश्वरी