नई दिल्ली: वर्ष 2016 में गलती से पाकिस्तान की सीमा में जाने वाले सेना के जवान चंदू चव्हाण ने सेना छोड़ने का ऐलान किया है। जवान चंदू चव्हाण ने सेना के अंदर अपने उपर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। जिसके चलते उन्होंने नौकरी छोड़ने का ऐलान किया है। चव्हाण ने कहा कि, जब से मैं पाकिस्तान से लौटा हूं लगातार सेना की ओर से उत्पीड़न किया जा रहा है और मुझे संदिग्ध दृष्टि से देखा जाता है। इसलिए मैंने सेना छोड़ने का फैसला किया है।
चंदू चव्हाण ने कहा कि, ‘जब से मैं पाकिस्तान से वापस आया, जब से मैं पाकिस्तान से लौटा हूं लगातार सेना की ओर से उत्पीड़न किया जा रहा है और मुझे संदिग्ध दृष्टि से देखा जाता है, इसलिए मैंने सेना छोड़ने का फैसला किया है। उनके नजदीकी सूत्रों ने बताया कि चव्हाण ने अपना त्याग पत्र अहमदनगर स्थित सैन्य टुकड़ी के कमांडर को भेज दिया है। चव्हाण को पाकिस्तानी रेंजर्स ने करीब चार महीने तक अपने कब्जे में रखा और बेरहमी से पीटा एवं यातना दी और मरणासन्न हालत में भारत को सौंपा था।
चंदू का जेसीओ के साथ ड्यूटी बंटवारे के कारण कुछ कहासुनी हुई, जिसके बाद वो अपनी पोस्ट से गलती से एलओसी पार कर गए। चंदू को पाकिस्तान ने गिरफ्तार कर लिया। 7 अक्टूबर, 2016 को पाकिस्तान ने डीजीएमओ से बातचीत में स्वीकार किया कि चंदूलाल नाम का जवान पाकिस्तान में मौजूद है। पाकिस्तान ने चार महीने बाद चंदू को अमृतसर वाघा बार्डर पर भारतीय सेना को सौंपा दिया था।
इसके बाद, जब चव्हाण भारत लौटकर आए तो पिछले महीने, वो एक दुर्घटना का शिकार हो गए। दुर्घटना के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। चव्हाण के चेहरे और सिर पर गहरी चोटें लगी थी। वहीं, उनके चार दांत टूट गए थे। जबकि चव्हाण के भौंह के नीचे और बाईं ठोड़ी के साथ- साथ उनके ऊपरी होंठ के नीचे भी खरोंच आ गई थी। यह हादसा सड़क पर गड्ढे की वजह से तब हुआ जब वह मोटरसाइकिल से अपने गृहनगर बोहरीवीर जा रहे थे। हेलमेट नहीं पहने होने की वजह से अधिक चोटें आईं।