शास्त्रों के मुताबिक गणेश जी की दो पत्नियां ऋद्धि-सिद्धि व लाभ और क्षेम पुत्र बताए गए हैं। जिनको शुभ-लाभ भी कहा जाता है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है तो उनकी पत्नियां ऋद्धि-सिद्धि यशस्वी, वैभवशाली और सम्मानित बनाने वाली होती है। इसी के साथ शुभ-लाभ हर सुख-सौभाग्य देते हैं और उसे स्थायी व सुरक्षित रखते हैं।
ऐसे ही सुख-सौभाग्य की चाहत पूरी करने के लिए बुधवार और चतुर्थी को गणेश पूजन में श्री गणेश के साथ ऋद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ का विशेष मंत्रों से ध्यान और पूजा बहुत ही फलदायी मानी गई है।
बुधवार को स्नान के बाद ऋद्धि-सिद्धि के साथ भगवान गणेश की मूर्ति को जल स्नान कराएं. इसके बाद उनके आस-पास शुभ-लाभ रूपी दो स्वस्तिक बनाएं. श्री गणेश और सभी को केसरिया चंदन लगाएं।
फिर चावल, दूर्वा चढ़ाएं और धूप-दीप जलाकर पूजा करें। अब नीचे लिखे अलग-अलग मंत्र बोलकर गणपति और उनके परिवार को फूल चढ़ाकर शुभ, मंगल कामनाएं करें –
श्री गणेश मंत्र:
ॐ गं गणपतये नम:
ऋद्धि मंत्र:
ॐ हेमवर्णायै ऋद्धये नम:
सिद्धि मंत्र:
ॐ सर्वज्ञानभूषितायै नम:
लाभ मंत्र:
ॐ सौभाग्य प्रदाय धन-धान्ययुक्ताय लाभाय नम:
शुभ मंत्र:
ॐ पूर्णाय पूर्णमदाय शुभाय नम:
पूजा और मंत्र ध्यान करने के बाद मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। इसके बाद आरती करके, प्रसाद बांटकर ग्रहण करें।