नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में इस वर्ष आने वाली गर्मियां हिंसक हो सकती हैं। केंद्र सरकार को इंटेलीजेंस एजेंसियों की तरफ से वॉर्निंग दी गई है कि पाकिस्तान की तरफ से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की मीटिंग पूरी होने के बाद घाटी में हिंसा भड़काने की कोशिशें की जा सकती हैं। पाकिस्तान की एफएटीएफ ने मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के चलते ग्रे लिस्ट में रखा है। इस इंटेलीजेंस के बाद केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि घाटी से सेनाओं की वापसी नहीं होगी। इंग्लिश डेली हिन्दुस्तान टाइम्स की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है।
एजेंसियों की तरफ से इस बात की आशंका जताई गई है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान की तरफ से आतंकियों की घुसपैठ करा सकता है। ये आतंकी न सिर्फ पूरी तरह से प्रशिक्षित हैं बल्कि इन्हें कश्मीर के हालातों को लेकर काफी अच्छी ट्रेनिंग दी गई है। गृह मंत्रालय के एक सीनियर ऑफिसर की तरफ से बताया गया है कि इस बात की विश्वसनीय जानकारी मिली है कि मार्च के माह में अफगानिस्तान के आतंकियों को कश्मीर में घुसपैठ कराई जा सकती है। ऑफिसर के मुताबिक यह घुसपैठ सिर्फ जम्मू कश्मीर तक ही सीमित नहीं रहेगी बल्कि पंजाब और राजस्थान तक हो सकती है।
फिलहाल सुरक्षा व्यवस्था में कोई कमी नहीं इंटेलीजेंस ब्यूरो के तहत आने वाले मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक) की तरफ से भी आतंकी घुसपैठ को लेकर बड़ी चेतावनी दी जा चुकी है। मैक की तरफ से बताया गया है कि 300 से 400 आतंकी घाटी में घुसने को रेडी हैं। गृह मंत्रालय की तरफ से फैसला किया गया है कि घाटी से फिलहाल अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की वापसी नहीं होगी। जम्मू कश्मीर के सुरक्षा घेरे को पिछले वर्ष पांच अगस्त को उस समय बढ़ाया गया था जब सरकार ने धारा 370 हटाने का फैसला किया था। उस समय सरकार ने पैरामिलिट्री फोर्सेज की 850 कंपनियों को भेजा था। हर कंपनी में 100 जवान थे। अभी तक सिर्फ 100 कंपनियों को हटाया गया है। आने वाली गर्मियों में 700 कंपनियां घाटी की सुरक्षा में तैनात रहेंगी।