खंडवा – वसंत पंचमी के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्व विद्यालय के विस्तार परिसर कर्मवीर विद्यापीठ के जनसंचार विभाग में ‘‘वसंत, प्रकृति और संवाद‘‘ विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ पत्रकारिता विभाग की छात्रा चांदनी दीक्षित द्वारा मां सरस्वती की आराधना के साथ हुआ। इसके बाद जनसंचार पाठ्यक्रम बीएएमसी के विद्यार्थी महेश तिवारी ने सूर्यकांत त्रिपाठी ’निराला‘ की कविता ‘‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती‘‘ का पाठ किया।
कार्यक्रम में पत्रकारिता विभाग के अभिलेख यादव ने बसंत पंचमी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे उत्साह का संचार करने वाली ऋतु बताया। जनसंचार के विद्यार्थी पीयूष पटेरिया ने प्रकृति और बिगड़ते पर्यावरण पर चिंता जाहिर करते हुए अपनी बातें कहीं। पत्रकारिता विभाग के मयंक डहेरिया ने अपनी बार रखते हुए कहा कि मानव ने विकास के नाम पर प्रकृति के साथ खिलवाड़ ही किया है। उन्होंने इस परिपाटी को बदलने की बात भी कही। संस्थान के एक अन्य विद्यार्थी विवेक सिंह तंवर नें समाज और प्रकृति के अन्र्तसम्बन्धों पर प्रकाष डाला। जनसंचार के विद्यार्थी राहुल विष्वकर्मा ने ‘‘आया वसंत बदल गई ऋतुएं‘‘ नामक कविता का पाठ किया तथा पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थी मो. निशात सिद्दिकी ने प्रकृति संरक्षण के लिए पेड़ लगाने की संकल्प लेते हुए अपनी बात रखी।
कार्यक्रम में परिसर के प्राचार्य संदीप भट्ट ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रकृति हजारों साल से मानव के साथ ही रही है। बिना प्रकृति के मानव का अस्तित्व मुश्किल है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में मानव विकास के साथ प्रकृति का संरक्षण कम हुआ है। उन्होंने कहा कि जैसा पर्यावरण हम आज से 10 साल पहले देखा करते थे वैसा पर्यावरण अब देखने को नहीं मिल रहा है। आज स्वच्छ जल और वायु के लिए तरह-तरह के प्यूरीफायर मशीनें बाजार में उतर चुकी हैं। यह हमारी प्रकृति के असंतुलन से ही हुआ है। इसलिए हमें प्रकृति से संवाद करते हुए उसे समझने और सहेजने की आवश्यकता है ताकि हमारे आने वाले बसंत बेहतर हों।
इस अवसर पर संस्था के राजेन्द्र परसाई ने सभी का आभर प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन अरुण कुमार पाटिलकर ने किया। कार्यक्रम में विद्यापीठ परिसर के पत्रकारिता, जनसंचार और कम्प्यूटर अनुप्रयोग विभागों के विद्यार्थी, शिक्षक तथा कर्मचारी उपस्थित रहें।