नई दिल्ली – पेट्रोलियम मंत्रालय में कॉरपोरेट जासूसी का भंडाफोड़ होने के बाद एक अन्य ग्रुप के भी शामिल होने का पता चला है। पुलिस अधिकारी अब तक पकड़े गए आरोपियों से ही दूसरे ग्रुप के बारे में सारी जानकारी जुटा रहे हैं। इस ग्रुप में भी मंत्रालय के सीनियर अफसरों के ऑफिस में काम करने वाले छोटे कर्मचारी शामिल हैं, जिन्हें पैसे का लालच देकर शामिल किया गया था।
माना जा रहा है कि दिल्ली पुलिस इस मामले में एक और एफआईआर दर्ज कर सकती है। हालांकि पूरे मामले में अधिकारिक तौर पर पुलिस का कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है। सूत्रों का कहना है कि जासूसी का दूसरा नेटवर्क मंत्रालय का एक चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी चला रहा था। पुलिस ने शास्त्री भवन के एक के बाद एक सात कमरे अब तक सील कर दिए हैं और यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि नया मॉड्यूल किन-किन लोगों को कागजात बेचता था और इनके किन-किन से संबंध थे।
कुछ कर्मचारियों, कंसल्टेंटों और कंपनियों के अफसरों की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है। पूछताछ में पुलिस को पता चला कि आरोपी मंत्रालय से कागजात चोरी करने के लिए सप्ताह में एक या दो बार ही अंदर जाते थे। करीब आठ महीने पहले एक दिन सुबह मंत्रालय का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज एक फोटोकॉपी मशीन पर पड़ा पाया गया। उसके बाद एक निदेशक के कमरे के दरवाजे को खोलने की कोशिश की गई। इनसे उठे संदेह के बाद गोपनीय दस्तावेज मंत्रालय के बाहर ले जाने वालों को धर दबोचने के लिए जांच शुरू की गई।