नई दिल्ली – कॉर्पोरेट जासूसी कांड में फंसे पेट्रोलियम मंत्रालय के टाइपिस्ट को एक एनर्जी कंपनी ने 20 गुना ज्यादा सैलरी पर रखा था । यह टाइपिस्ट कोई और नहीं, जुबिलैंट एनर्जी में में कॉर्पोरेट ऐग्जिक्युटिव सुभाष चंद्रा हैं। जानकारी के मुताबिक उसने यह कंपनी जॉइन करने से पहले फर्जी एमबीए की डिग्री भी बनवा ली थी।
समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सुभाष चंद्रा 2011 तक पेट्रोलियम मंत्रालय में 8 हजार रुपये माहवार के वेतन पर टाइपिस्ट का काम करता था। वह मंत्रालय में अंडर सेक्रटरी के पीए के तौर पर तैनात था।
अखबार ने अपने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि 2011 में उसने टाइपिस्ट की नौकरी छोड़कर अगले साल जुबिलैंट एनर्जी में बतौर सीनियर ऐग्जिक्युटिव जॉइन किया था। यहां उसे 8 हजार से सीधे 1.5 लाख रुपये की सैलरी पर रखा गया था।
सुभाष चंद्रा ने 2008 में पेट्रोलियम मंत्रालय में टाइपिस्ट की नौकरी शुरू की थी। उस पर कॉर्पोरेट के कई अजेंट्स को सीक्रिट डीटेल्स लीक करने का आरोप है। पुलिस पूछताछ में चंद्रा ने बताया है कि उसकी कई अजेंट्स के साथ दोस्ती थी। इनके जरिए ही उसे जुबिलैंट एनर्जी में नौकरी पाने में मदद मिली थी।
सूत्रों के मुताबिक चंद्रा ने पेट्रोलियम मंत्रालय में अच्छा नेटवर्क बना लिया था। इसी के दम पर उसने जुबिलैंट एनर्जी में अच्छी पोजिशन हासिल की। अपने नेटवर्क के दम पर चंद्रा पेट्रोलियम मंत्रालय से खुफिया जानकारियां निकलवाता था और उसे अपने सीनियर्स को देता था।
सुभाष के अलावा पकड़े गए दो भाई राकेश कुमार और लालता प्रसाद ने भी 2012 तक पेट्रोलियम मंत्रालय में अस्थाई तौर पर काम किया था। इन दोनों पर डॉक्युमेंट्स लीक करने का आरोप है। इन्हें एक डॉक्युमेंट के लिए 5 से 10 हजार रुपये तक मिलते थे। इन दोनों ने भी कॉर्पोरेट के अजेंट बनने के लिए नौकरी छोड़ दी थी।