श्रीलंकाई महिला क्रिकेटरों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में तीन अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है। इनमें से दो पर यौन शोषण और एक पर अनुचित व्यवहार का आरोप है। श्रीलंका के खेल मंत्रालय ने महिला क्रिकेटरों के साथ यौन उत्पीड़न मामले की जांच के लिये समिति बनाई थी जिसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन अधिकारियों ने शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे।
ये तीनों अधिकारी अब महिला क्रिकेट टीम के साथ नहीं है। वर्ष 2013 और 2014 के दौरान महिला क्रिकेटरों को श्रीलंकाई टीम में शामिल किये जाने के मामले में गड़बड़ी सामने आने के बाद खेल मंत्रालय ने जांच कराने की पेशकश की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एनई दिशानायक, पब्लिक ट्रस्टी थरंगानी दिशानायक और लोक प्रबंधन मंत्रालय केएस आलोक बंदारा की अध्यक्षता में एक जांच समिति नवंबर में गठित की थी। एसएलसी के जांचकर्ता मनोली जिनादास की ओर से दायर रिपोर्ट और जांच समिति की रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि महिला टीम में चयन को लेकर गड़बड़ी हुई और चयन प्रक्रिया में पक्षपात किया गया।
क्रिकेट जगत को हिला देने वाली जांच रिपोर्ट में श्रीलंका खेल मंत्रालय ने खुलासा किया था कि राष्ट्रीय महिला क्रिकेट टीम के अधिकारी क्रिकेटरों को टीम में शामिल किये जाने के एवज में शारीरिक संबंध बनाने की मांग करते थे। एसएलसी ने यह भी स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में जिन तीन अधिकारियों की पहचान की गयी है, वे अब अपने पिछले पदों पर मौजूद नहीं है क्योंकि इस वर्ष अप्रैल में उनके अनुबंध आगे नहीं बढ़ाए गए थे। श्रीलंका के कानून के अनुसार यौन शोषण का दोषी पाए जाने पर पांच साल तक की जेल हो सकती है।