हम सभी को मालूम है कि भगवान राम ने रावण को मार कर लंका पर विजय प्राप्त की थी। इस लंका तक पहुंचने के लिए उन्होनें वानरो की मदद से एक सेतु का निर्माण करवाया था। लेकिन शायद बहुत कम लोगो की मालूम होगा कि भगवान राम दोबारा लंका गए थे और उन्होनें रामसेतु के एक हिस्से को स्वयं ही तोड़ दिया था। आखिर उन्होनें ऐसा क्यों किया आइए जानते हैं।
पद्म पुराण के अनुसार,अयोध्या का राजा बनने के बाद एक दिन उन्हें विभीषण का ख्याल आया कि विभीषण किस तरह लंका पर शासन कर रहे हैं। यह जानने के लिए वे वहां जाने की तैयारी करने लगे।
यह सारी बातें भगवान राम ने अपने भाई भरत को बताईं तो भरत भी उनके साथ जाने को तैयार हो गए। अयोध्या का कार्यभार लक्ष्मण को सौंपकर दोनो भाई लंका के लिए निकल पड़े।
दोबारा लंका जाने पर जब यह बात सुग्रीव और अन्य वानरों को पता चला को वे भी भगवान राम और भरत के साथ पुष्पक विमान मे उनके साथ जाने लगे।
भगवान राम लंका पहुंचते ही विभीषण को धर्म-अधर्म के बारे में उन्हें तीन दिनों तक बताते है और धर्म का पालन करने का आदेश देते हैं।
अंत में विभीषण के कहने पर भगवान राम ने अपने बाणों से सेतु के भाग के दो टुकड़े कर दिए थे क्योंकि विभीषण को उस रास्ते से मानव के आने का डर सताने लगा था।