गौ रक्षकों की गुंडागर्दी को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सीधे तौर पर राज्यों को जिम्मेदार ठहराया है और कहा कि राज्य सरकारें इसे रोके। कोर्ट ने कहा कि कानून और व्यवस्था का मामला पूरी तरह राज्य का विषय है। कोर्ट को केंद्र सरकार से इस बारे में नीति बनाने के लिए नहीं कहना चाहिए।
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इस बारे में सीधे तौर पर राज्यों के लिए आदेश पारित किए जाएंगे। कोर्ट का कहना है कि हमारे आदेश प्राथमिकता के आधार पर होंगे। गौ रक्षकों की गुंडागर्दी के शिकार लोगों को मुआवजा देने के मामले को अलग से डील किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने सभी राज्यों को टास्क फोर्स के गठन पर अपनी रिपोर्ट सबमिट करने को कहा है। मामले पर अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।
कोर्ट मे दिया था नोडल ऑफिसर नियुक्त करने का आदेश
बता दें कि पिछली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बढ़ते कथित गौरक्षकों के तांडव पर रोक लगाने के लिए हर जिले में सीनियर पुलिस ऑफिसर तैनात करने का आदेश दिया था। ताकि इस तरह की हिंसा की घटनाओं को रोकने और इसे अंजाम देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कदम उठाएं।
शीर्ष अदालत ने राज्यों को एक सप्ताह में अपना टास्क फोर्स बनाने के लिए कहा था, जिसमें वरिष्ठ पुलिसकर्मियों को नोडल अधिकारी के रूप में रखा जाएगा।