डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि जब पहले से ही संक्रमित पाए गए मामलों में ही किट का प्रयोग असफल हो गया तो इससे प्रयोग का कोई फायदा नहीं।
नई दिल्ली : कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद/आईसीएमआर ने रैपिड टेस्टिंग किट को लेकर राज्यों के लिए एक परामर्श जारी किया है।
आईसीएमआर ने मंगलवार शाम को दैनिक प्रेस वार्ता में कहा कि सभी राज्यों में रैपिड टेस्ट किट बांटी गई। कुछ राज्यों से किट संबंधी कुछ शिकायत मिल रही थी।
जिसके बाद आईसीएमआर ने टेस्टिंग पर रोक लगा दी है। आईसीएमआर ने राज्यों को दो दिन तक रैपिड टेस्ट किए इस्तेमाल नहीं करने के निर्देश दिए हैं।
इसके साथ ही ये भी कहा है कि दो दिन के बाद दिशा निर्देश जारी किये जाएंगे। आईसीएमआर ने कहा कि अभी तक 4 लाख, 49 हजार 810 टेस्ट हुए हैं। सोमवार को 35 हजार से ज्यादा टेस्ट किए गए थे।
जांच परिणाम सही नहीं पाये जाने के कारण राजस्थान सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिए त्वरित जांच किट का इस्तेमाल मंगलवार को रोक दिया।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि इन किट से परीक्षणों के परिणाम के बारे में एक रिपोर्ट भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को भेजी गयी है। मंत्री के अनुसार इस किट से केवल पांच प्रतिशत सही या वैध परिणाम मिले हैं।
डॉ. रघु शर्मा ने कहा, ‘पहले ही संक्रमित पाए गए 168 मामलों में इस किट से परीक्षण किया गया लेकिन इसका परिणाम केवल 5.4 प्रतिशत ही सही आ रहा है और जब परिणाम सही नहीं हैं तो इससे परीक्षण करने का क्या फायदा है।’
शर्मा ने कहा कि जब पहले से ही संक्रमित पाए गए मामलों में ही किट का प्रयोग असफल हो गया तो इससे प्रयोग का कोई फायदा नहीं।
उन्होंने कहा, ‘वैसे भी ये परीक्षण अंतिम नहीं थे क्योंकि बाद में पीसीआर टेस्ट करना होता था। हमारे चिकित्सकों के दल ने सलाह दी है कि इससे जांच का कोई फायदा नहीं है।’
राज्य सरकार ने इन परिणामों को आईसीएमआर को भेजकर पूछा है कि त्वरित जांच किट से आगे परीक्षण जारी रखा जाए या नहीं। राजस्थान पहला राज्य है जिसने शुक्रवार से त्वरित जांच किट का इस्तेमाल शुरू किया था।
इससे पहले सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार ने आरोप लगाया कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की नोडल एजेंसी एनआईसीईडी ने राज्य में कोविड-19 संबंधी जांच के लिए जिन किट की आपूर्ति की है, वे ‘जाहिर तौर पर खराब’ हैं।
सरकार ने यह आरोप लगाते हुए कहा कि ये किट ‘अनिर्णायक परिणाम’ दर्शाती हैं जिसके कारण पुष्टि के लिए बार-बार जांच करनी पड़ती है और बीमारी का पता लगाने में देरी होती है।
आईसीएमआर-एनआईसीईडी के प्राधिकारियों ने इस पर कहा था कि इसका कारण संभवत: यह हो सकता है कि इन किट का ‘मानकीकरण नहीं किया गया है’ और वह मामले को ‘बहुत गंभीरता से ले रहा’ है।